स्त्री और समाज
Sudha Raje wrote a new note:
स्त्री बेची जाती है जब तो सभ्य कौन .
Sudha Raje
जनवाणी मेरठ में दो साल पहले
हमारा लेख छपा था जो सम्पादित करके
छोटा कर दिया गया था ।
आज भी हम विरोध करते हैं ।।।
वेश्यावृत्ति को लायसेंस देकर
कानूनी ज़ामा देने का ।।
क्योंकि
कहाँ से आती हैं वेश्यायें????
कोई भी इंसान प्रेम और दैहिक संबंध
को रोजगार राजी खुशी नहीं बनाता।
ना ही ।।
कोई
माँ बाप ये सपना देखते सकते हैं कि ।।
बेटी पैदा होगी ।।
और एक दिन दुनियाँ की सबसे बिकाऊ
वेश्या बनेगी ।।
और
ना ही समाज की मुख्य धारा में
ऐसी कोई स्त्री जुङ सकेगी ।।
जो
रोजगार बताया न जा सके वह चोरी है
ठगई है ।
ये लङकियाँ चुराने वाले गिरोह ।
हर साल लाखों बच्चियाँ चुराकर
वेश्यालयों में बेच देते है ।।
ये खो गये बच्चे जब मिलते है
सोनागाछी रेडलाईट नीलीबस्ती ।
तो
परिवार अपनाता नहीं समाज ताने
कसतै
है ।
बाद में वापस वहीं लोट जाती है नरक में
।।।
दैहिक पीङा रोग छूत
की बीमारियाँ गले
लगाकर तङप कर बे सेवा मरती है।।
ये
लायसेंस बनवाने में दफ्तर वाले
क्या क्या करेगे ।।।
तब हर ट्रैफिक वाला नोट माँगेगा
जो आज चोरी से जी रही दुनिया है ।।
वो प्रचलन में आ जायेगी ।।
बजाये संस्कार शालायें लगाने के ।।।
वेश्यावृत्ति को रोजगार
बनाया जाना ।।
घोर असामाजिक है ।।
स्त्री भोग्या का मिथक तोङो ।।
प्रेम चाहिये तो प्रेम निभाना
स्त्री चाहिये तो परिवार
बसाना सीखो ।
May 3
·
e
मेरा मानना है कि स्त्री शरीर नहीं है
पहले वह मानव है फिर स्त्री शरीर
तो बाद में आता है
अगर मजबूर होकर या मजबूर करके
भी किसी भी हालत में देह बेचनी पङे
तो ये अप्राकृतिक है ।
प्रकृति है प्रेम जोङा बनाना और
परिवार बसाना ।
इसके सिवा जो है वह
मानवता ही नहीं प्राकृत
सच का भी पतन है
धन हेतु स्त्री बेचना जब तक बंद
नहीं होता किसी देश को सभ्य कहलाने
का अधिकार नहीं
कहते हैं कुतर्की कि
यदि कोई अपना रोजगार चुनना चाहे
स्वेच्छा से गलत क्या है
नहीं है दैहिक व्यापार रोज़गार ।।।।
Like · 1 · Edit · May 4
Sudha Raje
कत्ल चोरी डकैती अपहरण स्मगलिंग लूट
राहजनी और देशद्रोह भी रोजगार है ।
नकली करेंसी बनाऩ भी रोजगार है ।
May 4
स्त्री बेची जाती है जब तो सभ्य कौन .
Sudha Raje
जनवाणी मेरठ में दो साल पहले
हमारा लेख छपा था जो सम्पादित करके
छोटा कर दिया गया था ।
आज भी हम विरोध करते हैं ।।।
वेश्यावृत्ति को लायसेंस देकर
कानूनी ज़ामा देने का ।।
क्योंकि
कहाँ से आती हैं वेश्यायें????
कोई भी इंसान प्रेम और दैहिक संबंध
को रोजगार राजी खुशी नहीं बनाता।
ना ही ।।
कोई
माँ बाप ये सपना देखते सकते हैं कि ।।
बेटी पैदा होगी ।।
और एक दिन दुनियाँ की सबसे बिकाऊ
वेश्या बनेगी ।।
और
ना ही समाज की मुख्य धारा में
ऐसी कोई स्त्री जुङ सकेगी ।।
जो
रोजगार बताया न जा सके वह चोरी है
ठगई है ।
ये लङकियाँ चुराने वाले गिरोह ।
हर साल लाखों बच्चियाँ चुराकर
वेश्यालयों में बेच देते है ।।
ये खो गये बच्चे जब मिलते है
सोनागाछी रेडलाईट नीलीबस्ती ।
तो
परिवार अपनाता नहीं समाज ताने
कसतै
है ।
बाद में वापस वहीं लोट जाती है नरक में
।।।
दैहिक पीङा रोग छूत
की बीमारियाँ गले
लगाकर तङप कर बे सेवा मरती है।।
ये
लायसेंस बनवाने में दफ्तर वाले
क्या क्या करेगे ।।।
तब हर ट्रैफिक वाला नोट माँगेगा
जो आज चोरी से जी रही दुनिया है ।।
वो प्रचलन में आ जायेगी ।।
बजाये संस्कार शालायें लगाने के ।।।
वेश्यावृत्ति को रोजगार
बनाया जाना ।।
घोर असामाजिक है ।।
स्त्री भोग्या का मिथक तोङो ।।
प्रेम चाहिये तो प्रेम निभाना
स्त्री चाहिये तो परिवार
बसाना सीखो ।
May 3
·
e
मेरा मानना है कि स्त्री शरीर नहीं है
पहले वह मानव है फिर स्त्री शरीर
तो बाद में आता है
अगर मजबूर होकर या मजबूर करके
भी किसी भी हालत में देह बेचनी पङे
तो ये अप्राकृतिक है ।
प्रकृति है प्रेम जोङा बनाना और
परिवार बसाना ।
इसके सिवा जो है वह
मानवता ही नहीं प्राकृत
सच का भी पतन है
धन हेतु स्त्री बेचना जब तक बंद
नहीं होता किसी देश को सभ्य कहलाने
का अधिकार नहीं
कहते हैं कुतर्की कि
यदि कोई अपना रोजगार चुनना चाहे
स्वेच्छा से गलत क्या है
नहीं है दैहिक व्यापार रोज़गार ।।।।
Like · 1 · Edit · May 4
Sudha Raje
कत्ल चोरी डकैती अपहरण स्मगलिंग लूट
राहजनी और देशद्रोह भी रोजगार है ।
नकली करेंसी बनाऩ भी रोजगार है ।
May 4
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