Monday 16 December 2013

स्त्री और समाज -12-

विवाह बचपन से तयम...
Sudha Raje
एक लंबी लिस्ट है मेरे पास
बुरका धारी परदानशीन
महिलाओं
की फरियादों की
अक्सर
ये विवाह बचपन से तय
मामा
मौसा
फूफा
के बच्चों में हुये होते हैं
सब कुछ देखा भाला
लेकिन
विवाह होते
ही मौसी मामी फूफी
शैतान
बन जातीं हैं
जो कल तक प्यारा भाई
था पति बनते ही इब्लीस
की औलाद हो जाता है
मारपीट
और
तलाक़
अब अगर मेहर
बीबी फातिमा के
चाँदी के सिक्कों पर
बँधा है और औक़ात से
ज़्यादा है तो तलाक़
नहीं देकर उत्पीङन
ताकि दूसरी शादी कर
सके
और
विवश लङकी खुला ले ले
ताकि मेहर दहेज
ना लौटाना पङे
यातनायें वो कि रूह काँप
जाये
और बिडंबना ये
कि माँ बाप का साथ
कोई नहीं देता
ना किताबें ना ठेकेदार
मुझे
अकसर ऐसे मामले
मनोवैज्ञानिक रूप से
सुलझाने पङे
Feb
10 ·

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