लेख ::स्त्री और समाज 2--
Sudha Raje
आज का फ़तवा
अथ संपूर्ण क्रांति
************
जब चूङी नहीं पहन
रखीं मैंने ये शब्द अपमान से
कहा जाता है
नाक में नकेल
पहनाना भी अपमान
ही है
तो
क्या सुहाग
की आस्था इतनी कमजोर
है??????
कि
काँच की चूङी और नाक
की नकेल की मोहताज है
??????
सिख महिलायें लोहे
कङा पहनती हैं
और कृपाण हर वक्त अपने
साथ रखतीं है
तो????
अरे भई वस्तु नहीं साध्य
प्रधान है
कोई तो विकास का चरण
ऐसा रहा होगा जब ये
काँच
की चूङी नहीं बनती रही होगी?????
तब???
भी लोग जोङे बनाते
होंगे???
बेशक हम यही कह रहे हैं
कि जिस दिन
लङकियाँ नाक
बिंधाना और काँच की
चूङी पहनना
बंद कर देंगी
और खंज़र लेकर मजबूत
कलाईयों वाली होंगी
ये
बात बात पर
जनानी होना गाली
नही रह जायेगा
कम से कम बालिग होने तक
ये फैसला बेटी पर ही छोङ
दो
किसी शास्त्रीय
पद्धति से
इस रूढ़ि का कुछ
भी लेना नहीं है
भय?????
किसका?????
क्या चूङी भर भर पहने
हाथों के
अखंड सौभाग्य
की गारंटी है??
नहीं
ये दिल दुआ निष्ठा किसी
अपमान जनक वस्तु
की मोहताज नही
ना ही सौंदर्य का कुछ
लेना देना है
हिलेरी सुंदर नहीं क्या??
सोचो
जब एक साङी चूङी नकेल
से
मुक्त कर देने का साहस नहीं
बेटी को तो कैसे
स्वावलंबन का लंबा संघर्ष
करे
??
क्या सलवार कुरता बेशरम
पहनावा है
क्या पंजाबी महिलायें
सुहाग से प्यार नहीं करती
??
क्या किसी के अखंड
सुहाग
को इनकी मोहताजी है
ये तो निशानियाँ है
घोषणा कि भाई ये खेत
बिक गया ये
दासी खऱीदी गयी
बस
सोचना खुले मन से
अतिवाद से नही
©®¶©®Datia★Bijnor
Jan 30 ·
शहादत का भाव भर कर पाली जाती हैँ
औरतें ये कूट कूट कर सिखाकर कि मर मिटो पुरुष पर ।
आजीविका तो गरीब मजदूर किसान और
संपन्न औरते कमा ही रही है
केवल
मध्यम वर्ग की सवर्ण महिलायें ही फुल
टाईम हाऊस वाईफ है
जो निठल्ली नहीँ तीन सौ रुपये रोज
का काम करती है
घर में जो रहती है वे तीन सौ रूपये
का काम तो हर हाल मे करती है
मजदूरनी भिखारिनी सब्जी वाली पति के
बराबर या ज्यादा कमाती है
सफाई वाली भी बरतन वाली भी
Like · 1 · Edit · Mar 21
आज का फ़तवा
अथ संपूर्ण क्रांति
************
जब चूङी नहीं पहन
रखीं मैंने ये शब्द अपमान से
कहा जाता है
नाक में नकेल
पहनाना भी अपमान
ही है
तो
क्या सुहाग
की आस्था इतनी कमजोर
है??????
कि
काँच की चूङी और नाक
की नकेल की मोहताज है
??????
सिख महिलायें लोहे
कङा पहनती हैं
और कृपाण हर वक्त अपने
साथ रखतीं है
तो????
अरे भई वस्तु नहीं साध्य
प्रधान है
कोई तो विकास का चरण
ऐसा रहा होगा जब ये
काँच
की चूङी नहीं बनती रही होगी?????
तब???
भी लोग जोङे बनाते
होंगे???
बेशक हम यही कह रहे हैं
कि जिस दिन
लङकियाँ नाक
बिंधाना और काँच की
चूङी पहनना
बंद कर देंगी
और खंज़र लेकर मजबूत
कलाईयों वाली होंगी
ये
बात बात पर
जनानी होना गाली
नही रह जायेगा
कम से कम बालिग होने तक
ये फैसला बेटी पर ही छोङ
दो
किसी शास्त्रीय
पद्धति से
इस रूढ़ि का कुछ
भी लेना नहीं है
भय?????
किसका?????
क्या चूङी भर भर पहने
हाथों के
अखंड सौभाग्य
की गारंटी है??
नहीं
ये दिल दुआ निष्ठा किसी
अपमान जनक वस्तु
की मोहताज नही
ना ही सौंदर्य का कुछ
लेना देना है
हिलेरी सुंदर नहीं क्या??
सोचो
जब एक साङी चूङी नकेल
से
मुक्त कर देने का साहस नहीं
बेटी को तो कैसे
स्वावलंबन का लंबा संघर्ष
करे
??
क्या सलवार कुरता बेशरम
पहनावा है
क्या पंजाबी महिलायें
सुहाग से प्यार नहीं करती
??
क्या किसी के अखंड
सुहाग
को इनकी मोहताजी है
ये तो निशानियाँ है
घोषणा कि भाई ये खेत
बिक गया ये
दासी खऱीदी गयी
बस
सोचना खुले मन से
अतिवाद से नही
©®¶©®Datia★Bijnor
Jan 30 ·
शहादत का भाव भर कर पाली जाती हैँ
औरतें ये कूट कूट कर सिखाकर कि मर मिटो पुरुष पर ।
आजीविका तो गरीब मजदूर किसान और
संपन्न औरते कमा ही रही है
केवल
मध्यम वर्ग की सवर्ण महिलायें ही फुल
टाईम हाऊस वाईफ है
जो निठल्ली नहीँ तीन सौ रुपये रोज
का काम करती है
घर में जो रहती है वे तीन सौ रूपये
का काम तो हर हाल मे करती है
मजदूरनी भिखारिनी सब्जी वाली पति के
बराबर या ज्यादा कमाती है
सफाई वाली भी बरतन वाली भी
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