बाग़ीगीत
Sudha Raje
Sudha Raje
आज अगर जो नही उठोगे
आँगन भी जल जायेंगे
चंदा सूरज
काले होगें
हम न बुलाने
आयेगें
आज अगर जो डर गये सोचो
कौन बचाने आयेगा
बेटी बहिन
माँओं का कातिल
हर कायर कहलायेगा
ज़र्रा जर्रा माँग रहा है
आधी आबादी का हक़
तू न कहे पर वक़्त एक
दिन
तुझको भी थर्रायेगा
आज दामिनी और
कामिनी
कल किस किस
की बारी है
क्या जाने किस
गली का कुत्ता किसे
फाड़कर खायेगा
बेटी बहिनों पर लाठी है
ज़ुल्म सितम है
पहरे हैं
अत्यारी जेल में सुख से
बिरयानी फरमायेगा
संसद राजभवन में छिपकर बैठे
रावण दुर्योधन
लोकतंत्र में
लोक रो रहा
तंत्र
क़हर बरसायेगा
पर्दे और ज़ुल्म देखे है
देखी आग चिताओं की
अरे!!! कापुरूष
क्या गोली से ये
सैलाब बहायेगा
ज़ौर ज़ुल्म की टक्कर से
संघर्ष का नारा
गूँजा है
अब इंसाफ छीन कर लेगे
दौर ये बदला जायेगा
"'सुधा "'सर्द रातों में
पानी
पानी
हो गयी ग़ैरत भी
जब औरत
बंदूक उठा ले
मर्द
तू
क्या कहलायेगा ©®
SudhaRaje
18 December 2012
Sudha Raje
आज अगर जो नही उठोगे
आँगन भी जल जायेंगे
चंदा सूरज
काले होगें
हम न बुलाने
आयेगें
आज अगर जो डर गये सोचो
कौन बचाने आयेगा
बेटी बहिन
माँओं का कातिल
हर कायर कहलायेगा
ज़र्रा जर्रा माँग रहा है
आधी आबादी का हक़
तू न कहे पर वक़्त एक
दिन
तुझको भी थर्रायेगा
आज दामिनी और
कामिनी
कल किस किस
की बारी है
क्या जाने किस
गली का कुत्ता किसे
फाड़कर खायेगा
बेटी बहिनों पर लाठी है
ज़ुल्म सितम है
पहरे हैं
अत्यारी जेल में सुख से
बिरयानी फरमायेगा
संसद राजभवन में छिपकर बैठे
रावण दुर्योधन
लोकतंत्र में
लोक रो रहा
तंत्र
क़हर बरसायेगा
पर्दे और ज़ुल्म देखे है
देखी आग चिताओं की
अरे!!! कापुरूष
क्या गोली से ये
सैलाब बहायेगा
ज़ौर ज़ुल्म की टक्कर से
संघर्ष का नारा
गूँजा है
अब इंसाफ छीन कर लेगे
दौर ये बदला जायेगा
"'सुधा "'सर्द रातों में
पानी
पानी
हो गयी ग़ैरत भी
जब औरत
बंदूक उठा ले
मर्द
तू
क्या कहलायेगा ©®
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18 December 2012
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