लेख :स्त्री और समाज

Sudha Raje
आज आधी दुनिया केवल
एक काम कर रही है येन केन
प्रकारणेन वापस
स्त्री को घूँघट
चूल्हा चक्की और
दीवारों में बंद रहने
को चुपचाप ही नहीं हृदय से
मानकर झुक जाने को
लगातार औरत
की आजादी पुरूषवाद के
आतंकवादियों के बीच
चरचा का विषय है और गहरे
मन से ये अहंकारी आहत हैं
घायल हैं कि औरते बारीक
चपातियाँ क्रोशिया स्वेटर
सुई धागा झाङू
पोछा चकला बेलन
छोङकर कम्प्यूटर कलम
की पैड कैमरा स्टेयरिंग
व्हील पर क्यों हैं
और हद ये है कि जिन
महिलाओं के परिवार के
पुरूषों को कोई
आपत्ति नहीं इन
अहंकारियों के आतंकवाद
के निशाने पर वे महिलायें
भी हैं क्योंकि हर तरह से
घिरा हुआ खुद को पाते ये
घमंडी अतिवादी लोग उन
पुरूषों से भी जूझने लङने
को तैयार हैं जो अब मानते
हैं कि हाँ स्त्री भी मानव
है उसे भी गरमी सरदी भूख
प्यास लगते हैं वह
भी दुनियाँ देखने पढने और
अपना मनचाहा पहनने ओढ़ने
का हक रखती है ये
अपनी जमात में उन
दबी कुचली ब्रैनवॉश्ड
महिलाओं
को भी शामिल कर लेते हैं
जो नरक जाने से डरती हैं
लेकिन खुद नरक में
पङी पङी सङ रही हैं
या तो अपने ऊपर खतरनाक
पुरूष संरक्षकों के भय से
या फिर खुद को धरमवान
महान का मेडल देने के लिये
डीप गले खुली पेट पीठ
की पारदरशी साङी और
नकली जेवरो मेकअप
की खूँटी बनी लिपी पुती स्त्री में
इनको भारतीय
संस्कृति की रक्षा नजर
आती है
लेकिन पेंट कुरता बूट पहन कर
सादा सपाट चेहरा लिये
बाईक से दफ्तर
जाती सब्जी दवा राशन
खरीदती लङकी इनको देश
पर मँडराता भय़ंकर
खतरा लगती है
©®¶©®¶sudha Raje
क्रमशः-----
Mar
7 ·

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