कहानी 'एक प्रेम कथा
Sudha Raje wrote a new note: एक
प्रेमकथा आँखो देखा सच .
Sudha Raje
हम उस लङकी का बहुत सम्मान करते हैं
हालाँकि
ये सम्मान उसे बेहद संघर्ष के बाद मिला
एक गुंडा सिंधी लङका
जिससे दुनिया थर्राती
उसके दुकानदार पिता को अक्सर
परेशान
करता सिगरेट वगैरह के लिये
एक दिन लङकी ने जो लेक्चर दिया अकल
आ गयी
लेकिन लङकी भा गयी
आप यकीन कीजिये छह
फीटा बॉडी बिल्डर गोपाल दादा
ठेला किराये पर लेकर मंडी से सामान
ढोने लगा
लङकी
मेरी पूर्व परिचित पढ़ी लिखी
लङका सिर्फ सिंधी में नांम लिखने वाला
पिता की मौत पर दुकान
चलाती लङकी से
शादी की तो जाति का बखेङा परिवार
में
दोनों खुश लङके के बङे भाई ने रस्में की
दो साल तक इस प्यार को दाँतों तले
उँगली काट कर सब देखते लङकी ने
दतिया की सिंधी परंपरा के हिसाब से
सिलाई करनी शुऱू कर दी नज़र लग
गयी बचपन से शराबी गोपाल
दादा को फालिज पङ गया
पूरे आठ साल
लङकी ने सब्जी बेची सिलाई की
रोज गोपाल दादा की मालिश और जब
दादा तोतली आवाज में
बोलता लँगङाता चलने
लगा तो लिवाकर
लायी मिलाने पैरों झुके दादा को देख
मेरी आँखें भर आयीं
किराने की दुकान पर कंधे से लगाकर ले
जाती भाभी
लाती
हमें अक्सर अपने दुख सुख सुनाती
कई साल बाद अब होली पर मंदिर
की रंगपंचमी पर आयी तो हृष्ट पुष्ट
अकङ
कर चलता स्वस्थ दादा पैरों में
झुका तो फिर खुशी से आँखें भीग
गयीं सिंधी टोन की हिंदी में बोला बेन
महाराज आपकी भौजी ने
जिवा लियो मर गयो तो मैं तो
हमने उस रोज भाभी की फागें सुनी और
नृत्य किया भाँग पीकर
भाभी गा रही थी ""म्हारी रे मँगेतर
नथणी वाळी रे मूच्याँ वाळा रे नबाब
""और दादा दूर होली खेलता दाऊ साब
के साथ हँस रहा था
ईश रहम रखना ऐसे सच्चों पर
कभी सबने एक गुंडे की वासना कहा था
True story
©®¶©®¶
Sudha Raje
Dta★Bjnr
Feb 12
प्रेमकथा आँखो देखा सच .
Sudha Raje
हम उस लङकी का बहुत सम्मान करते हैं
हालाँकि
ये सम्मान उसे बेहद संघर्ष के बाद मिला
एक गुंडा सिंधी लङका
जिससे दुनिया थर्राती
उसके दुकानदार पिता को अक्सर
परेशान
करता सिगरेट वगैरह के लिये
एक दिन लङकी ने जो लेक्चर दिया अकल
आ गयी
लेकिन लङकी भा गयी
आप यकीन कीजिये छह
फीटा बॉडी बिल्डर गोपाल दादा
ठेला किराये पर लेकर मंडी से सामान
ढोने लगा
लङकी
मेरी पूर्व परिचित पढ़ी लिखी
लङका सिर्फ सिंधी में नांम लिखने वाला
पिता की मौत पर दुकान
चलाती लङकी से
शादी की तो जाति का बखेङा परिवार
में
दोनों खुश लङके के बङे भाई ने रस्में की
दो साल तक इस प्यार को दाँतों तले
उँगली काट कर सब देखते लङकी ने
दतिया की सिंधी परंपरा के हिसाब से
सिलाई करनी शुऱू कर दी नज़र लग
गयी बचपन से शराबी गोपाल
दादा को फालिज पङ गया
पूरे आठ साल
लङकी ने सब्जी बेची सिलाई की
रोज गोपाल दादा की मालिश और जब
दादा तोतली आवाज में
बोलता लँगङाता चलने
लगा तो लिवाकर
लायी मिलाने पैरों झुके दादा को देख
मेरी आँखें भर आयीं
किराने की दुकान पर कंधे से लगाकर ले
जाती भाभी
लाती
हमें अक्सर अपने दुख सुख सुनाती
कई साल बाद अब होली पर मंदिर
की रंगपंचमी पर आयी तो हृष्ट पुष्ट
अकङ
कर चलता स्वस्थ दादा पैरों में
झुका तो फिर खुशी से आँखें भीग
गयीं सिंधी टोन की हिंदी में बोला बेन
महाराज आपकी भौजी ने
जिवा लियो मर गयो तो मैं तो
हमने उस रोज भाभी की फागें सुनी और
नृत्य किया भाँग पीकर
भाभी गा रही थी ""म्हारी रे मँगेतर
नथणी वाळी रे मूच्याँ वाळा रे नबाब
""और दादा दूर होली खेलता दाऊ साब
के साथ हँस रहा था
ईश रहम रखना ऐसे सच्चों पर
कभी सबने एक गुंडे की वासना कहा था
True story
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Sudha Raje
Dta★Bjnr
Feb 12
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