नज्म :-रात ढलते ही कई दर्द
Sudha Raje
रात ढलते ही कई दर्द
ज़वां होते हैं
लोग सोते हैं कई लोग यूँ
ही रोते हैं
रात के साथ ,
दिलों
में तुफ़ान हो ते है
छिपके मिलते हैं
ज़मीं आसमान होते हैं
रात के हुस्न पे जब चाँद
फ़िदा होता है
दिन का हर
फ़ैसला रातों को अदा होता है
दामने शब में छुपे किस्से
बयां होते हैं
*****
रात के पहलू में
कितने
ही दिल पिघलते हैं
कितने ही जोङे जो सैरे
क़मर निकलते हैं
रात की बाँहों में
तनहाईयाँ „भी जलती हैं
रात के हुस्न पे
रानाईयाँ मचलती हैं
रात के वस्लो हिज़्र कब ये
अयां होते हैं
©®¶©®¶
Sudha Raje
रात काली ये
मवाली सङक पे फिरते हैं
रात के जुल्मों सितम हर
गली में तिरते हैं
रात को चीखते परिन्दे
साँप खाते हैं
लोग सुनते भी तो
चुपचाप टाल
जाते हैं
दर्द पे हँसते से घुँघरूँ
भी रवां होते हैं
Sudha Raje
©®¶©©
रात महफ़िल में
शमाँओं को नोच लेती है
क़ब्रों बागों में
हवाओं को सोच लेती है
रात ये छत से कमंदे भी फेंक
भागे है
रात ये घर में दरिंदे भी देख
जागे है
रात चढ़ते ही क़यामत के
समां होते हैं
©®¶©®¶
Sudha Raje
रात की बात"" सुधा ""फूल
फूल खुशबू है
रात रौशन
""सुधा"" की शायरी
रँगो बू है
रात नाज़िल है तराने
"सुधा"
इबादत के
रात सच लिखती है ये
अश्को ग़म तब्स्सुम के
रात के नाम पे ग़ुम
कितने गुमां होते हैं
©®¶©®¶
Sudha Raje
Dta★Bjnr
Mar 12, 2013
रात ढलते ही कई दर्द
ज़वां होते हैं
लोग सोते हैं कई लोग यूँ
ही रोते हैं
रात के साथ ,
दिलों
में तुफ़ान हो ते है
छिपके मिलते हैं
ज़मीं आसमान होते हैं
रात के हुस्न पे जब चाँद
फ़िदा होता है
दिन का हर
फ़ैसला रातों को अदा होता है
दामने शब में छुपे किस्से
बयां होते हैं
*****
रात के पहलू में
कितने
ही दिल पिघलते हैं
कितने ही जोङे जो सैरे
क़मर निकलते हैं
रात की बाँहों में
तनहाईयाँ „भी जलती हैं
रात के हुस्न पे
रानाईयाँ मचलती हैं
रात के वस्लो हिज़्र कब ये
अयां होते हैं
©®¶©®¶
Sudha Raje
रात काली ये
मवाली सङक पे फिरते हैं
रात के जुल्मों सितम हर
गली में तिरते हैं
रात को चीखते परिन्दे
साँप खाते हैं
लोग सुनते भी तो
चुपचाप टाल
जाते हैं
दर्द पे हँसते से घुँघरूँ
भी रवां होते हैं
Sudha Raje
©®¶©©
रात महफ़िल में
शमाँओं को नोच लेती है
क़ब्रों बागों में
हवाओं को सोच लेती है
रात ये छत से कमंदे भी फेंक
भागे है
रात ये घर में दरिंदे भी देख
जागे है
रात चढ़ते ही क़यामत के
समां होते हैं
©®¶©®¶
Sudha Raje
रात की बात"" सुधा ""फूल
फूल खुशबू है
रात रौशन
""सुधा"" की शायरी
रँगो बू है
रात नाज़िल है तराने
"सुधा"
इबादत के
रात सच लिखती है ये
अश्को ग़म तब्स्सुम के
रात के नाम पे ग़ुम
कितने गुमां होते हैं
©®¶©®¶
Sudha Raje
Dta★Bjnr
Mar 12, 2013
Comments
Post a Comment