कविता :-जिंदगी को उम्मीद का हृदय रोग

Sudha Raje wrote a new note:
Sudha Rajeज़िंदगी को उम्मीदका हृदय
रोग हो गयाअब आनंदनिर्द्वंद्व
हैअपेक्षाओं के सब परिंदेआजाद कर दिये...
Sudha Raje
ज़िंदगी को उम्मीद
का हृदय रोग हो गया
अब आनंद
निर्द्वंद्व है
अपेक्षाओं के सब परिंदे
आजाद कर दिये
खोने को बची बस
मार्क्सवादी जंजीरों के
सिवा कुछ नहीं
जिंदगीभर के दुखो एक
हो गाओ
ये है नशा मुक्ति का
शायद
कलम बहक रही है
और
हम और काम लेना चाहते हैं
फिऱाओंन की तरह
बिना
एक भी आँसू गिराये
दीनारों की शक्ल में चिने
जाते अपने
पिरामिड पर
कल सूरज लाल सलाम बोले
या नीला
मेरे उत्तरी ध्रुव पर ही रंग है
बरफ
और
अँधेरा
दजला फरात से ब्रह्मपुत्र
तक
की कहानियाँ अभी बाकी हैं
लेकिन
अमेजन के अँधेरों में
लोग कहते
देर तक प्रेत जागते हैं
मुझे सोना चाहिये
कोई डरे या डराये
ये निरर्थक
एकालाप बंद भी करो
©®¶©™
Feb
4 ·

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