अकविता:-स्त्री और धर्म

Sudha Raje wrote a new note:
स्त्री के लिये नहीँ बना धर्म.
Sudha Raje
मैँ
जैसे समग्र
स्त्री का विराट् होकर
सोचूँ तो
कोई भी धर्म?????
स्त्री से जुङा ही कब है???
प्राचीन साधु संत मेरे
व्यक्तिगत विचार से
वैज्ञानिक थे
जंगलों में प्रयोगशालायें
थीँ
और अपने राज़ छुपाने के
लिये कठिन भाषा में
लिखकर आम जन के वर्जित
कर दिया ।
जो जनोपयोगी ज्ञान
था उसे भीरु
जनता को भयभीत कर
या कामना से जोङकर
मानने का आदेश
लगा दिया ।
स्त्री ने
लिखा तो मिटाया रचा तो तोङा और
किताबों में तरह तरह से
स्त्री पर
विश्लेषण लिख डाले
ये तथाकथित पुराण और
क़िताबें
स्त्री के किसी काम
की नहीँ
आज हम सब मिलकर लिखें
और सत्ता छीनकर सिस्टम
उलटा कर दें तो????????
Mar
28 · Mar 28
Sudha Raje
सवाल उनसे उठाया है
जो लगातार मैसेज करते है
मस्जिद बचाओ मंदिर
बचाओ
देश बचाओ
संस्कृति बचाओ
क्षत्रियों के लिये लिखो
सवर्णों पर लिखो
भाङ में जाओ सब
हमें जो हमारे परिवेश ने
दिखाया वो ये
कि जो बनाया इंसान के
सुख शांति के लिये
नहीँ तो व्यर्थ है
Mar 28
Sudha Raje
ये तोङ फोङ अकेले मनु
नहीँ सारे
ब्राह्मणों की हर पोथी में
है
और
राजतंत्र को धर्म से डराकर
ये ब्राह्मण वाद यूँ
हावी हुआ कि
सोचने का काम ही खत्म
हो गया
जो पंडित कहे वो सही
मनुस्मृति पढ़ो उसमें
ब्राह्मणों के आदेश पर सब
निर्देश हैं उसी में लिखा है
स्त्री की पूजा करने वाले
समाज में दिव्यता रहती है
स्त्री को संपत्ति का चौथा हिस्सा
प्रतिवर्ष
भाई अदा करता रहे ।
स्त्री जिस घर में रोती है
वह घातमूठ से
मरा ही समझो स्त्री की ओर
गंदी नजर डालने वाले
को गर्म तेल में डुबो कर
जला दो ।
Mar 29
Sudha Raje
एक
व्यक्ति मर जाये
तो क्या क्या उसे
मिलेगा परलोक में वह सब
दिया जाता है
ससुर जी के मरने पर
छाता चप्पल
जूता छङी धोती पगङी रजाई
गद्दा पलंग साबुन तेल राशन
बरतन पैसेऔर पूजा पाठ
का सारा सामान
दिया गया ।
बारह अमावस्याओं
का भोजन घी और
रूपिया इन
सबको स्वीकार करने का
अब कोई सुबू,त
का कि सब कुछ पंडित
जी के इस्तेमाल करने से
स्वर्ग नर्क के निर्णयाधीन
ससुर जी को मिल
ही गया होगा?????
चोखा धंधा कुंडली का
सत्यनारायण की कथा है
ही
और पापों की क्षमा के
अलावा
कलह विपत्ति पर नवग्रह
शांति है
पितरदोष शांति है
कालराहुशांति है
और
शुद्धिकरण
फसल आते ही वसूली
बोने पर वसूली
मंदिर में कैद भगवान से
मिलना हो
पंडित
जी को दक्षिणा दो ।
· Mar 29
Sudha Raje
हम गये अजमेर गाङी पार्क
करने ही नहीँ पाये
कि दरजन भर मौलवी घेर
लेते है और चप्पल रखने से
चादर छूने तक मैं मैं मैं
पहुँचा हुआ करते रहते है
मोरपंख की झाङू रखे
सबकी बलायेँ उतारते और
ताबीज देते हाफ़िज और
मुल्ले कभी कभी जायरीन
के सामने ही झगङते है
बुरी तरह
संगम पर भी यही हाल है
हरिद्वार में
भी हालांकि कुछ कम
Like · 1 · Edit · Mar 29
Sudha Raje
गोरथनाथ धाम और
अयोध्या का भी हाल
बदहाल है
बिना बिचौलियों के
आप
इन इमारतों स्थानों पर
टिक नहीँ सकते
कुछ सतसंगी तो हमने
पकङवाये भी हैँ
रासलीला करतै
Like · 1 · Edit · Mar 29

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