मर जाने जैसा ही अनुभव है सपनों का मर जाना दहन चिता जैसा ही तो है "रिश्तों तक से डर जाना मरे डरे टूटे रहकर भी नहीं झुकेंगे ठान लिया हमने तो हर बार मृत्यु से जीवन का वरदान लिया ©®सुधा राजे
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