गीत: मेरी बेटी ये नगर3

तेरे उस घर की मैं तामीर किया करती हूँ ',
जर्रे ज़र्रे को बेनज़ीर किया करती हूँ ',
तुझको दुनियाँ की बलाओं से बचायेगा वही ',
इल्म हासिल तू करे, क्या है ग़लत और सही ',
रौशनी दिल में रहे पीछे ज़माना होगा ''
मेरी बेटी तुझे घर छोङ के जाना होगा ',
ये तो तय है कि तेरा घर वो ठिकाना होगा ',
©®सुधा राजे

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