दोहो: सुधा के दोहे

मैं मँगनारिन हरि घरै
माँगत रही सदैव ',
सुधा  हरिहिँ माँगत हरयेँ
भये हर दैव अदैव
©®सुधा राजे
का दैहौ का दै भये
का माँगू का नाँय ',
जो मँगतिन दाता करै
सुधा 'देओ ''कऊँ ''जाएँ 
©®सुधा राजे

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