मैं मँगनारिन हरि घरै माँगत रही सदैव ', सुधा हरिहिँ माँगत हरयेँ भये हर दैव अदैव ©®सुधा राजे का दैहौ का दै भये का माँगू का नाँय ', जो मँगतिन दाता करै सुधा 'देओ ''कऊँ ''जाएँ ©®सुधा राजे
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