ससुराल का हौआ।
क्या तुम जाओगे इसके साथ ससुराल?
दिन चढ़ने को आया शहज़ादी जी अभी तक सो कर नहीं उठीं । दिन भर कभी टी वी
कभी रेडियो कभी पाटिक्का कंचे पतंग और सहेलियाँ । कल ही पूरा क्रॉकरी सैट
तोङ डाला । सिर चढ़ा रखा है छोरी को । कल को ससुराल में ये नखरे नहीं
चलने वाले । नाम तो मेरा थुकेगा कि माँ ने कुछ नहीं सिखाया ।
""""
कहते हुये माँ ने कल्पना चादर खींची ।
"उठिये राजदुलारी जी आठ बज गये "
क्या है माँ सोने दो ना । रात को एक बजे तक तो पढ़ाई की थी । अगले हफ्ते
एक्ज़ाम्स हैं । सुबह सुबह फिर भाषण ओफ्फ।""
कल्पना ने वापस चादर खींची तकिया सिर पर कान दबाकर रखा और अंग्रेजी का"
के"बनकर सो गयी ।
पापा ने मिन्नत सी की --
""सोने दो बेचारी को अभी नादान बच्ची ही तो है । समय के साथ अपने आप सब
समझ जायेगी । ""
-नादान?
माँ ने आँखें फाङीं!
अच्छा जी!!
पूरे सत्रह साल की हो गयीं लाडली समझे कुछ!!!
इतनी उमर में तो मेरे पिंटू भी हो लिया था । पूरे दस आदमी का खाना पकाती
थी मैं ""।
माँ ने पानी का लोटा भरा और कल्पना के ऊपर उँडेल दिया ।
ये क्या दुष्टता है लक्ष्मी? तुम्हें न तो कॉलेज में पाँच घंटे लेक्चर
सुनने पङते थे । न ही रात रात भर जाग के नोट्स बनाने पङते थे । छोटी उमर
की शादी और बच्चों ने कितनी बीमारियाँ परेशानियाँ दीं सब भूल गयीं क्या?
मेरी तन्ख्वाह का एक बङा हिस्सा आज तक तुम्हारे दवा औऱ परहेज पर जाता है
। औऱ ये क्यों भूल गयीं कि उन मेहनती काम काजों से ही परेशान होकर तुमने
परिवार से अलग होने की ज़िद ठान ली थी? । कितना हंगामा हुआ था जब तुम
मायके जा बैठीं थीं नन्हीं सी बच्ची को छोङकर? मुझे शहर किराये का कमरा
लेकर परिवार रखना पङा? सब मुझे ज़ोरू का ग़ुलाम बुलाते थे!!
पापा झल्लाये हुये ।
कल्पना भुनभुनाती उठी और बाथरूम में कपङे लेकर नहाने चली गयी ।
माँ चिढ़ गयीं ।
""ये ताने भी बच्चों के सामने मारने हैं!! चढ़ाओ सिर चढ़ाओ । मुझे क्या
फिर कल को मत कहना । कहे देतीं हूँ जिस घर जायेगी नाक कटायेगी कङिया
शहतीर काले करेगी । दाल छौंकने तक के लच्छन नहीं । दहेज में दो नौकर भी
भेज देना । पढ़ाई लिखाई से क्या होता है जाके चूल्हा और बच्चे ही तो
सँभालने हैं । इतने नखरे कोई मरद बर्दाश्त नहीं करेगा । हाँ मिल गया कोई
लल्लू मील्ला तो भले चल जाये । !"
पापा चीखे
खबरदार लक्ष्मी अब जो एक भी लफ्ज़ कोसा मेरी बच्ची को । ""
माँ रूँआँसी हो गयीं ।
हाँ हाँ मैं ही दुश्मन हूँ सौत की बेटी है न मेरी ये इसलिये जलती हूँ ।
ये चलेगी अगले हल लेकर । इसीसे होगा नाम रौशन । ये देगी चिता को आग ।
ये करेगी पिंडदान । आज से बोलू जो तो बिच्छू काटे ।
पापा बैठक में चले गये । माँ भीतर मढ़ा वाले कमरे में । कल्पना रसोई में
गयी । चाय परांठे सूखी सब्ज़ी बनायी । माँ के सामने रखी माँ ने मुँह फेर
लिया । पापा के सामने रखी । पापा तारीफ़ें करते नहीं थक रहे थे ।
बोले -"बेटा अपनी माँ की बात का बुरा मत माना कर । बङे दुख उठाये हैं ।
तेरे भले के लिये ही झगङती है ।
मैं जानती हूँ पापा ।
कल्पना कॉलेज को निकली तो माँ ने आवाज़ दी
सीधी घर आना ।
जी माँ ।
°°°°°°°
पाँच साल बाद कल्पना ससुराल से मायके आयी है।
लेक्चरर कल्पना ।
माँ हुलस कर पूछ रहीं हैं ससुराल के हाल चाल । अबके बस एक लङका और करले ।
पापा एलबम देख रहे हैं
कलपना से पूछते हैं । कैसा है मेरा बेटा?
कल्पना कुछ नहीं कहती बस दोनों हाथ पापा के गले में डालकर बैठ जाती है
सोफे पर कंधे पर सिर टिकाकर ।
पापा """"""""""""""
माँ मुहल्ले की औरतों में बैठी बता रहीं थीं
।""दामाद जी ने दो दो नौकर लगा रखे हैं । सास तो चाय भी बनाने नहीं
देती। धेवती के होने पर हजारों आदमियों को दावत दी ।""
तभी एक स्त्री बोली
--क्यों न हो लक्ष्मी जिज्जी!! चालीस हज़ार रूपिया हर महीने कमाकर जो
देती है कल्पो सबको । आपने तो हाईस्कूल कराके ही परायी कर दी होती । वो
तो भाई साब की बज्जुर की छाती थी जो पूरे कुनबे से टक्कर ले के छोरी को
आसमान पै बिठा के माने ।""
माँ की आँखें भरी थीं
""सही कहती हो कम्मो इसके पापा का ही कलेज़ा था जो कल्पो के लिये चट्टान
बने रहे मैं बावली तो डरती ही रह गयी ।""
कल्पना ने पीछे से आकर माँ के गले में सोने की चेन पहनाते हुये कहा ।
""और माँ के डरावने विवरणों ने मुझे मास्टर शैफ के साथ पढ़कर कमाने को
विवश किया ।माँ अब मैं रोज जल्दी उठ जाती हूँ ।
""
तभी पीछे से आवाज़ आयी
स्माईल प्लीज!!
""ये कल्पना की बेटी भी नाना पर गयी है ""
कम्मो हँसी
सबका फोटो खिंच गया ।
कल्पना ने आँखें पोंछी।
आय लव यू पापा।
©¶©®¶
Sudha Raje
सुधा राजे
दिन चढ़ने को आया शहज़ादी जी अभी तक सो कर नहीं उठीं । दिन भर कभी टी वी
कभी रेडियो कभी पाटिक्का कंचे पतंग और सहेलियाँ । कल ही पूरा क्रॉकरी सैट
तोङ डाला । सिर चढ़ा रखा है छोरी को । कल को ससुराल में ये नखरे नहीं
चलने वाले । नाम तो मेरा थुकेगा कि माँ ने कुछ नहीं सिखाया ।
""""
कहते हुये माँ ने कल्पना चादर खींची ।
"उठिये राजदुलारी जी आठ बज गये "
क्या है माँ सोने दो ना । रात को एक बजे तक तो पढ़ाई की थी । अगले हफ्ते
एक्ज़ाम्स हैं । सुबह सुबह फिर भाषण ओफ्फ।""
कल्पना ने वापस चादर खींची तकिया सिर पर कान दबाकर रखा और अंग्रेजी का"
के"बनकर सो गयी ।
पापा ने मिन्नत सी की --
""सोने दो बेचारी को अभी नादान बच्ची ही तो है । समय के साथ अपने आप सब
समझ जायेगी । ""
-नादान?
माँ ने आँखें फाङीं!
अच्छा जी!!
पूरे सत्रह साल की हो गयीं लाडली समझे कुछ!!!
इतनी उमर में तो मेरे पिंटू भी हो लिया था । पूरे दस आदमी का खाना पकाती
थी मैं ""।
माँ ने पानी का लोटा भरा और कल्पना के ऊपर उँडेल दिया ।
ये क्या दुष्टता है लक्ष्मी? तुम्हें न तो कॉलेज में पाँच घंटे लेक्चर
सुनने पङते थे । न ही रात रात भर जाग के नोट्स बनाने पङते थे । छोटी उमर
की शादी और बच्चों ने कितनी बीमारियाँ परेशानियाँ दीं सब भूल गयीं क्या?
मेरी तन्ख्वाह का एक बङा हिस्सा आज तक तुम्हारे दवा औऱ परहेज पर जाता है
। औऱ ये क्यों भूल गयीं कि उन मेहनती काम काजों से ही परेशान होकर तुमने
परिवार से अलग होने की ज़िद ठान ली थी? । कितना हंगामा हुआ था जब तुम
मायके जा बैठीं थीं नन्हीं सी बच्ची को छोङकर? मुझे शहर किराये का कमरा
लेकर परिवार रखना पङा? सब मुझे ज़ोरू का ग़ुलाम बुलाते थे!!
पापा झल्लाये हुये ।
कल्पना भुनभुनाती उठी और बाथरूम में कपङे लेकर नहाने चली गयी ।
माँ चिढ़ गयीं ।
""ये ताने भी बच्चों के सामने मारने हैं!! चढ़ाओ सिर चढ़ाओ । मुझे क्या
फिर कल को मत कहना । कहे देतीं हूँ जिस घर जायेगी नाक कटायेगी कङिया
शहतीर काले करेगी । दाल छौंकने तक के लच्छन नहीं । दहेज में दो नौकर भी
भेज देना । पढ़ाई लिखाई से क्या होता है जाके चूल्हा और बच्चे ही तो
सँभालने हैं । इतने नखरे कोई मरद बर्दाश्त नहीं करेगा । हाँ मिल गया कोई
लल्लू मील्ला तो भले चल जाये । !"
पापा चीखे
खबरदार लक्ष्मी अब जो एक भी लफ्ज़ कोसा मेरी बच्ची को । ""
माँ रूँआँसी हो गयीं ।
हाँ हाँ मैं ही दुश्मन हूँ सौत की बेटी है न मेरी ये इसलिये जलती हूँ ।
ये चलेगी अगले हल लेकर । इसीसे होगा नाम रौशन । ये देगी चिता को आग ।
ये करेगी पिंडदान । आज से बोलू जो तो बिच्छू काटे ।
पापा बैठक में चले गये । माँ भीतर मढ़ा वाले कमरे में । कल्पना रसोई में
गयी । चाय परांठे सूखी सब्ज़ी बनायी । माँ के सामने रखी माँ ने मुँह फेर
लिया । पापा के सामने रखी । पापा तारीफ़ें करते नहीं थक रहे थे ।
बोले -"बेटा अपनी माँ की बात का बुरा मत माना कर । बङे दुख उठाये हैं ।
तेरे भले के लिये ही झगङती है ।
मैं जानती हूँ पापा ।
कल्पना कॉलेज को निकली तो माँ ने आवाज़ दी
सीधी घर आना ।
जी माँ ।
°°°°°°°
पाँच साल बाद कल्पना ससुराल से मायके आयी है।
लेक्चरर कल्पना ।
माँ हुलस कर पूछ रहीं हैं ससुराल के हाल चाल । अबके बस एक लङका और करले ।
पापा एलबम देख रहे हैं
कलपना से पूछते हैं । कैसा है मेरा बेटा?
कल्पना कुछ नहीं कहती बस दोनों हाथ पापा के गले में डालकर बैठ जाती है
सोफे पर कंधे पर सिर टिकाकर ।
पापा """"""""""""""
माँ मुहल्ले की औरतों में बैठी बता रहीं थीं
।""दामाद जी ने दो दो नौकर लगा रखे हैं । सास तो चाय भी बनाने नहीं
देती। धेवती के होने पर हजारों आदमियों को दावत दी ।""
तभी एक स्त्री बोली
--क्यों न हो लक्ष्मी जिज्जी!! चालीस हज़ार रूपिया हर महीने कमाकर जो
देती है कल्पो सबको । आपने तो हाईस्कूल कराके ही परायी कर दी होती । वो
तो भाई साब की बज्जुर की छाती थी जो पूरे कुनबे से टक्कर ले के छोरी को
आसमान पै बिठा के माने ।""
माँ की आँखें भरी थीं
""सही कहती हो कम्मो इसके पापा का ही कलेज़ा था जो कल्पो के लिये चट्टान
बने रहे मैं बावली तो डरती ही रह गयी ।""
कल्पना ने पीछे से आकर माँ के गले में सोने की चेन पहनाते हुये कहा ।
""और माँ के डरावने विवरणों ने मुझे मास्टर शैफ के साथ पढ़कर कमाने को
विवश किया ।माँ अब मैं रोज जल्दी उठ जाती हूँ ।
""
तभी पीछे से आवाज़ आयी
स्माईल प्लीज!!
""ये कल्पना की बेटी भी नाना पर गयी है ""
कम्मो हँसी
सबका फोटो खिंच गया ।
कल्पना ने आँखें पोंछी।
आय लव यू पापा।
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Sudha Raje
सुधा राजे
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