Monday 10 June 2013

ये भी कोई बात हो गई।

हमने माँगे बेर
निगोङा ले आया अंगूर
भला कोई बात
हो गयी!!!!!
तिल के लड्डू माँगे
बैरी लाया मोतीचूर
भला कोई बात हो गयी
!!!!
जब मैं जागूँ वो सो जाये
वो जागे मैं सोऊँ
और चिढ़ावै हरजाई जब
खीझ खीझ कर रोऊँ
फागुन सावन छुट्टी ना ले
जाबे लंबे टूर
भला कोई बात हो गयी
वो गेंदा गुलाब पे रीझे
मुझको बेला भाती
उङद भात वो कढ़ी मँगावे
मुझको कङक चपाती
तीखे गट्टे
बूँट करेले देख के भागे
दूर
भला कोई बात हो गयी!!!
मैं जामुन भुट्टे जब माँगू
परमल पूङे लाये
उसको लँहगा हरी छींट
का
मुझको कोट सुहाये
मैं कॉफी की दीवानी
वो चाये गिंदोङे बूर
भला कोई बात हो गयी
मुझको घूमर कत्थक भावे
वो नोटंकी लीला
जब में लिखते रो दूँ हँस के कहे
पेंच है ढीला
मैं सोचूँ कुछ फुरसत हो वो
जाने ना दे दूर
भला कोई बात हो गयी
इतना मीठा बोले
लगता डायबिटीज
हो लेगी
मैं जब बोलूँ कहे अनाङी
लाल मिर्च रो लेगी
राजपुतनी परी सखी ।।
वो यू पी का लंगूर!!!
अजी कोई बात हो गयी ।।।
©®¶©®
Sudha
Raje

No comments:

Post a Comment