इक तमाशा है मुहब्बत।

Sudha Raje
इक तमाशा है मुहब्बत आज फिर
बाज़ार में
एक दूल्हा फिर बिका है रस्म के
दरबार में
एक माँ ने फिर लिया है कोख
का पूरा किराया
दूध का भी दाम माँगा फर्ज़ के
किरदार में
एक वालिद ने बिकाऊ कर
दिया कुलदीप को
और कीमत परवरिश की
माँगता रोज़गार में
भाई बहिनों ने लिये हैं दाम बचपन
खेल के
कुछ भिखारी भी हैं देखो
शक्ले रिश्तेदार में
क्या अजूबा शादियाँ क्या ही ग़जब
हैं धर्म ये
फायदा नुकसान देखा
दिल के कारोबार में
क्या गुनहगर हैं कि बादे-शब
भी डरने लग गये
चोर की शक्लों में बैठे
ठग सुधा परिवार में
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Sudha Raje
Feb 2 ·

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