Monday 10 June 2013

पैगाम लिखा।

Sudha Raje
Sudha Raje
आँधी में इक
उङता पत्ता पत्ते पर पैग़ाम
लिखा
एक साँवरी लङकी ने ख़त
साँवरिया के नाम लिखा
कहाँ हो तुम आ जाओ
अजी अब हम
को भला नहीं लगता
चंदा सूरज तारे जुगनू दीपक
जला नहीं लगता
बुझे बुझे दोपहर सवेरे
सूनी रातें शाम लिखा
एक साँवरी लङकी ने ख़त
साँवरिया के नाम लिखा
कहाँ हो तुम ले जाओ
अजी ये घर अब लगे
पराया सा
बोझिल
हँसना गाना खाना भूली सब
धुँधलाया सा
सखियाँ बहिनें भाभी छेङें
किस्मत शाहे-आम लिखा
एक साँवरी लङकी ने ख़त
साँवरिया के लिखा
कौन हो जी तुम कब ले जाओ गे
कैसे हो कब आओगे
तन मन जीवन किये तुम्हारे
नाम प्रेम दे पाओगे
जनम जनम अधिकार परस्पर
मैं तेरी बेदाम लिखा
एक साँवरी लङकी ने खत
साँवरिया के नाम लिखा
सुख देखे दुख देखे देवा अब
ज़ी प्यार मिले रब्बा
तनहाई की कटे न रैना दिल
बेदार खिले शब्बा
काँधे धर सर भूलूँ
दुनियाँ सँग दे आठों याम
लिखा
एक साँवरी लङकी ने ख़त
साँवरिया के नाम लिखा
छोटा सा आशियाँ बना के
गुल गुलशन गुलज़ार करें
अपनी ही इक रच लें
दुनियाँ आजा इतना प्यार
करें
ले जा मितवा देश पराये
रहती मैं गुलफ़ाम लिखा
एक साँवरी लङकी ने ख़त
साँवरिया के नाम लिखा
ना जानूँ
वो तेरी नगरी ना वो तेरा पता जानूँ
ना जानूँ तेरी वो सूरत बस
आजा इतना ठानूँ
नाते नैहर लिखे बिछोङे
दर्द विदा अंज़ाम लिखा
एक साँवरी लङकी ने ख़त "'!
साँवरिया के नाम लिखा
नादीदा ओ मेरे सजन
हमदोशे ज़न्नत घऱ तेरा
नाआशना सनम मेरे
ली मन्नत जीवन भर मेरा
कैसी दीवानी सपनों में
"सुधा "प्यास को ज़ाम
लिखा
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Sudha
Raje
DTA★BJNR
Feb 17

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