सुधा राजा का लेख -"" शोर और साधना के बीच "" (भाग दो)
नमाज
का बुलावा होती है अजान जो एक मिनट को माईक पर बारहों महीने हर रोज एक
साथ पूरे भारत की हर मसजिद से बजती है ।
जो जहाँ जिस वक्त जो कुछ कर रहा होता है सब काम छोङकर वहीं या करीब की
मसजिद में नमाज अदा करता है ।
ये ""अजान, ""एक अलार्म है '''कि प्रार्थना का वक्त हो गया ""
जो हर मसजिद में नियुक्त मुअज्जन लगाता है ।
यंत्रों का प्रयोग मुसलिम इबादत में वर्जित है ।
माईक पर हर दिन केवल पाँच बार अजान होती है जो """हर हाल में पाँच ★मिनट
★में पूरी हो जाती है ।
यानि?
प्रतिदिन कुल मिलाकर केवल "★पच्चीस मिनट को माईक का प्रयोग किया जाता है
एक साथ एक ही वक्त पर *★
हम नहीं कहते कि यह सही है ।
क्योंकि शोर तो धरती के खिलाफ अपराध है ।
किंतु यह अलार्म है ।
अब?
देखें तौले और महसूस करें लगभग हर हिंदू मंदिर पर सुबह सुबह ही दो घंटे
आरती की कैसेट लगाकर "भोंपू "बजाया जाता है "
जबकि यह शास्त्रवर्जित है ।
क्योंकि आरती संपूर्ण पूजा का अंतिम अंग है ।जो सबकी उपस्थिति में मुख
स्वर से घंटा गरूङखंभ शंख मंजीरों के साथ होनी चहिये और ""पंच आरती भी
केवल पच्चीस मिनट प्रतिदिन एक बेला में लेती हैं ""
गाकर देख लें "
ये भोंपू जब बजना शुरू कर दिये जाते हैं जबकि मंदिर का पुजारी भी
नित्यक्रिया से निवृत्त नहीं होता । जँभाई लेते उठे और डैक लगा दिया ।
तब जब कोई हैंगओवर को ठीक कर रहा होता है कोई टॉयलेट तो को खर्राटों में
तो कोई अन्य क्रियाकलाप में रत होता है ।
पढ़ने वाले बच्चे व्याकुल होकर झल्लाते है उफ उफ उफ '''''''
न तो कोई आरती का भोपूँ गायन सुनकर सब काम छोङकर जो जहाँ जैसा है
प्रार्थना करने बैठ जाता है न ही कोई """मंदिर की तरफ दौङ लगा देता
है!!!!!
फिर ये आरती वहाँ ""असल में हो भी तो नहीं रही होती है!!!!!!!
एक एक मंदिर कई कई घंटे शोर मचाता है,,
न समय निर्धारित है न ""गीत आरती भजन मंत्र निश्चित ""???
तो किसलिये??
अजान लाऊड स्पीकर से क्यों इससिये???
तो चलो पच्चीस मिनट आप भी हर दिन शोर करो मगर शर्त है कि हर शोर पर
"""लोग पूजा करना प्रारंभ करें???? करेंगे??
हर पढ़ने वाले ।
बीमार
लेखक
और ध्यानी
योगी
तापस
जापक
साधक
को बता दो कि अमुक बजे से अमुक बजे तक
हम मंदिर वाले लोग रोज शोर का भोपूँ बजायेगे!!!!!!
तब तक सब """प्रतीक्षा करके दूसरे कार्य करलो या जाकर पूजा में ही शामिल
हो लो?? होगा?? निश्चित वक्त?
अगर नहीं
तो लगातार शोर
खगोलीय संरचना के प्रति अपराध है ।
अपराध है उन सब मौन ध्यानियों जापकों के पाठको विद्यार्थियों के प्रति जो
एकांत शांति खोजते हैं ।
ईर्ष्या में शोर करना तो कतई धर्म का हिस्सा नहीं???
रहा रमज़ान तो ""हर साल के केवल उन्नीस दिन!!!!!!!
वह भी जगाने का अलार्म है हालांकि यह भी गलत है ।
फिर भी रात को तीन से पाँच के बीच बीस पच्चीस पुकारें औऱ क्या!!!!!
नवरात्रियाँ
भागवत
अखंड रामायण
जागरण
कीर्तन
झाँकी
रामलीला
रविदास लीला
कांवङ यात्रा पर शोर?
कुंभ का शोर
दीवाली का शोर
होली का शोर
दशहरे का शोर
गणपति पूजा का शोर
रथयात्रा का शोर
गनगौर गरबा और हर रोज का शोर
कौन करता है ।
भूल गये??????? पूरे साल कहीं न कहीं तीखे शोर कौन करता है?
--
Sudha Raje
Address- 511/2, Peetambara Aasheesh
Fatehnagar
Sherkot-246747
Bijnor
U.P.
Email- sudha.raje7@gmail.com
Mobile- 9358874117
का बुलावा होती है अजान जो एक मिनट को माईक पर बारहों महीने हर रोज एक
साथ पूरे भारत की हर मसजिद से बजती है ।
जो जहाँ जिस वक्त जो कुछ कर रहा होता है सब काम छोङकर वहीं या करीब की
मसजिद में नमाज अदा करता है ।
ये ""अजान, ""एक अलार्म है '''कि प्रार्थना का वक्त हो गया ""
जो हर मसजिद में नियुक्त मुअज्जन लगाता है ।
यंत्रों का प्रयोग मुसलिम इबादत में वर्जित है ।
माईक पर हर दिन केवल पाँच बार अजान होती है जो """हर हाल में पाँच ★मिनट
★में पूरी हो जाती है ।
यानि?
प्रतिदिन कुल मिलाकर केवल "★पच्चीस मिनट को माईक का प्रयोग किया जाता है
एक साथ एक ही वक्त पर *★
हम नहीं कहते कि यह सही है ।
क्योंकि शोर तो धरती के खिलाफ अपराध है ।
किंतु यह अलार्म है ।
अब?
देखें तौले और महसूस करें लगभग हर हिंदू मंदिर पर सुबह सुबह ही दो घंटे
आरती की कैसेट लगाकर "भोंपू "बजाया जाता है "
जबकि यह शास्त्रवर्जित है ।
क्योंकि आरती संपूर्ण पूजा का अंतिम अंग है ।जो सबकी उपस्थिति में मुख
स्वर से घंटा गरूङखंभ शंख मंजीरों के साथ होनी चहिये और ""पंच आरती भी
केवल पच्चीस मिनट प्रतिदिन एक बेला में लेती हैं ""
गाकर देख लें "
ये भोंपू जब बजना शुरू कर दिये जाते हैं जबकि मंदिर का पुजारी भी
नित्यक्रिया से निवृत्त नहीं होता । जँभाई लेते उठे और डैक लगा दिया ।
तब जब कोई हैंगओवर को ठीक कर रहा होता है कोई टॉयलेट तो को खर्राटों में
तो कोई अन्य क्रियाकलाप में रत होता है ।
पढ़ने वाले बच्चे व्याकुल होकर झल्लाते है उफ उफ उफ '''''''
न तो कोई आरती का भोपूँ गायन सुनकर सब काम छोङकर जो जहाँ जैसा है
प्रार्थना करने बैठ जाता है न ही कोई """मंदिर की तरफ दौङ लगा देता
है!!!!!
फिर ये आरती वहाँ ""असल में हो भी तो नहीं रही होती है!!!!!!!
एक एक मंदिर कई कई घंटे शोर मचाता है,,
न समय निर्धारित है न ""गीत आरती भजन मंत्र निश्चित ""???
तो किसलिये??
अजान लाऊड स्पीकर से क्यों इससिये???
तो चलो पच्चीस मिनट आप भी हर दिन शोर करो मगर शर्त है कि हर शोर पर
"""लोग पूजा करना प्रारंभ करें???? करेंगे??
हर पढ़ने वाले ।
बीमार
लेखक
और ध्यानी
योगी
तापस
जापक
साधक
को बता दो कि अमुक बजे से अमुक बजे तक
हम मंदिर वाले लोग रोज शोर का भोपूँ बजायेगे!!!!!!
तब तक सब """प्रतीक्षा करके दूसरे कार्य करलो या जाकर पूजा में ही शामिल
हो लो?? होगा?? निश्चित वक्त?
अगर नहीं
तो लगातार शोर
खगोलीय संरचना के प्रति अपराध है ।
अपराध है उन सब मौन ध्यानियों जापकों के पाठको विद्यार्थियों के प्रति जो
एकांत शांति खोजते हैं ।
ईर्ष्या में शोर करना तो कतई धर्म का हिस्सा नहीं???
रहा रमज़ान तो ""हर साल के केवल उन्नीस दिन!!!!!!!
वह भी जगाने का अलार्म है हालांकि यह भी गलत है ।
फिर भी रात को तीन से पाँच के बीच बीस पच्चीस पुकारें औऱ क्या!!!!!
नवरात्रियाँ
भागवत
अखंड रामायण
जागरण
कीर्तन
झाँकी
रामलीला
रविदास लीला
कांवङ यात्रा पर शोर?
कुंभ का शोर
दीवाली का शोर
होली का शोर
दशहरे का शोर
गणपति पूजा का शोर
रथयात्रा का शोर
गनगौर गरबा और हर रोज का शोर
कौन करता है ।
भूल गये??????? पूरे साल कहीं न कहीं तीखे शोर कौन करता है?
--
Sudha Raje
Address- 511/2, Peetambara Aasheesh
Fatehnagar
Sherkot-246747
Bijnor
U.P.
Email- sudha.raje7@gmail.com
Mobile- 9358874117
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