सुधा राजे का लेख --"" भारतीय सोच।""
सीरिया
ईराक
इजरायल
अफगानिस्तान
कैमरून
पाकिस्तान
बांगलादेश
फिलिस्तीन
में
भी रमज़ान था!!!!!!
वहाँ भी ईद होगी न????
सुना था "रमज़ान में ×शै×तान
जंजीरों में जकङा रहता है!!!!
कल
एक "अहमदी ''मुहल्ले के कुछ
घरों को आग लगादी गयी और कुछ
लङकियाँ मर गयीं पङौसी मुल्क के
अल्पसंख्यक होते हैं वे ''जिनको हज तक
का हक नहीं है "
कोई
बताये कि भारत के किसी अल्पसंख्यक
को किसी तीर्थ नगरी तक
जाना निषिद्ध है क्या?
यही है भारतीय बंधुता और
सहिष्णुता जो मूल भारतीय
निवासियों में है जन्मजात ।
और ।
चाहे कुछ सौ साल पहले उन्होनें
विविध मज़हब बना लिये हों या
अपना धर्म बदल लिया हो ।
उनका ""भारतीय "डीएन ए "
बंधुता के स्वभाव का रहा है ।
जब जब हिंसा पसंद देशों के
लोगों का आना जाना भारत में
बढ़ता है ।
भारतीय
समुदायों की बंधुता को जानबूझ कर
ईर्ष्यावश बरगलाया और अलगाववाद
का निशाना बनाया जाता है ।
भारत
की भारतीयता उसके मेल जोल
मिलनसारिकता और सहिष्णुता के
स्वभाव में है,
किंतु
जब जब ""विदेशी विचार और
नागिरकों का ""साशय
हमला होता है तब तब "
भारत का सौहार्द बिगङ जाता है ।
ये चाहे "तो वैचारिक साम्राज्यवाद
के मकसद से हो ।
मजहबी साम्राज्यवाद के मकसद से हो
सीमावर्ती प्रदेशों पर कब्ज़े
की नीयत से हो ।
भारत
को अशांत राष्ट्र और भेदभाव करने
वाली सामाजिकता घोषित करने के
मकसद से हो ।
या भारत को फिर से उपनिवेश
बनाकर संसाधनों का दोहन करके
लूटने के मकसद से हो ।
किंतु
साफ साफ
दिमागों में ज़हर भरने का काम
ज़ारी है ।
हर पंथ
में फूट डालो राज करो
की
भाषा बोलने वाले
ओपिनियन लीडर्स
बैठे है
ये
स्थानीय "सब्बू दादा "
से
लेकर
शीर्ष धर्मगुरू या नेता तक हैं ।
हिंदू धर्म में जहाँ कोई """केंद्रीय
नेतृत्व '''नहीं होने से अकसर लोग
निजी तौर पर फैसले लेते हैं वहीं कुछ
पंथ मजहब अपने स्थानीय धर्मनेता से
भी बरगलाये जाते हैं ।
जरूरत है
पढ़ लिख कर विवेक से
देशहित निजहित समाजहित
और अपने मानव होने
की सार्थकता को समझने की ।
कभी कोई बङा आदमी नहीं बरबाद
होता 'नफरत '
से
केवल दिहाङी मजदूर किसान
कारीगर फेरीवाले छोटी पूँजी के
लोग तबाह हो जाते है ।
झगङो के लिये केवल निठल्ले बढ़ चढ़कर
मनोरंजन हेतु सबसे पहले आगे बढ़ते हैं ।
बेरोजगार परजीवी निकम्मे लोग शुरू
करते हैं और फिर सब संक्रमित होते
जाते हैं ।
भारतीय हो पहले भारत की परवाह
करो,
फिर
तीन सौ देशों की "हालत पर
चीखना "
सबको पीढ़ी दर पीढ़ी यहीं रहना है
क़यामत तक
परदेश में जा बसने पर भी भारतीय
पहचान पीछा नहीं छोङेगी ।
होश
में आओ.!!!
जो जो नफरत सिखाता है
वही तो '×शै×तान 'है
©सुधा राजे।
--
Sudha Raje
Address- 511/2, Peetambara Aasheesh
Fatehnagar
Sherkot-246747
Bijnor
U.P.
Email- sudha.raje7@gmail.com
Mobile- 9358874117
ईराक
इजरायल
अफगानिस्तान
कैमरून
पाकिस्तान
बांगलादेश
फिलिस्तीन
में
भी रमज़ान था!!!!!!
वहाँ भी ईद होगी न????
सुना था "रमज़ान में ×शै×तान
जंजीरों में जकङा रहता है!!!!
कल
एक "अहमदी ''मुहल्ले के कुछ
घरों को आग लगादी गयी और कुछ
लङकियाँ मर गयीं पङौसी मुल्क के
अल्पसंख्यक होते हैं वे ''जिनको हज तक
का हक नहीं है "
कोई
बताये कि भारत के किसी अल्पसंख्यक
को किसी तीर्थ नगरी तक
जाना निषिद्ध है क्या?
यही है भारतीय बंधुता और
सहिष्णुता जो मूल भारतीय
निवासियों में है जन्मजात ।
और ।
चाहे कुछ सौ साल पहले उन्होनें
विविध मज़हब बना लिये हों या
अपना धर्म बदल लिया हो ।
उनका ""भारतीय "डीएन ए "
बंधुता के स्वभाव का रहा है ।
जब जब हिंसा पसंद देशों के
लोगों का आना जाना भारत में
बढ़ता है ।
भारतीय
समुदायों की बंधुता को जानबूझ कर
ईर्ष्यावश बरगलाया और अलगाववाद
का निशाना बनाया जाता है ।
भारत
की भारतीयता उसके मेल जोल
मिलनसारिकता और सहिष्णुता के
स्वभाव में है,
किंतु
जब जब ""विदेशी विचार और
नागिरकों का ""साशय
हमला होता है तब तब "
भारत का सौहार्द बिगङ जाता है ।
ये चाहे "तो वैचारिक साम्राज्यवाद
के मकसद से हो ।
मजहबी साम्राज्यवाद के मकसद से हो
सीमावर्ती प्रदेशों पर कब्ज़े
की नीयत से हो ।
भारत
को अशांत राष्ट्र और भेदभाव करने
वाली सामाजिकता घोषित करने के
मकसद से हो ।
या भारत को फिर से उपनिवेश
बनाकर संसाधनों का दोहन करके
लूटने के मकसद से हो ।
किंतु
साफ साफ
दिमागों में ज़हर भरने का काम
ज़ारी है ।
हर पंथ
में फूट डालो राज करो
की
भाषा बोलने वाले
ओपिनियन लीडर्स
बैठे है
ये
स्थानीय "सब्बू दादा "
से
लेकर
शीर्ष धर्मगुरू या नेता तक हैं ।
हिंदू धर्म में जहाँ कोई """केंद्रीय
नेतृत्व '''नहीं होने से अकसर लोग
निजी तौर पर फैसले लेते हैं वहीं कुछ
पंथ मजहब अपने स्थानीय धर्मनेता से
भी बरगलाये जाते हैं ।
जरूरत है
पढ़ लिख कर विवेक से
देशहित निजहित समाजहित
और अपने मानव होने
की सार्थकता को समझने की ।
कभी कोई बङा आदमी नहीं बरबाद
होता 'नफरत '
से
केवल दिहाङी मजदूर किसान
कारीगर फेरीवाले छोटी पूँजी के
लोग तबाह हो जाते है ।
झगङो के लिये केवल निठल्ले बढ़ चढ़कर
मनोरंजन हेतु सबसे पहले आगे बढ़ते हैं ।
बेरोजगार परजीवी निकम्मे लोग शुरू
करते हैं और फिर सब संक्रमित होते
जाते हैं ।
भारतीय हो पहले भारत की परवाह
करो,
फिर
तीन सौ देशों की "हालत पर
चीखना "
सबको पीढ़ी दर पीढ़ी यहीं रहना है
क़यामत तक
परदेश में जा बसने पर भी भारतीय
पहचान पीछा नहीं छोङेगी ।
होश
में आओ.!!!
जो जो नफरत सिखाता है
वही तो '×शै×तान 'है
©सुधा राजे।
--
Sudha Raje
Address- 511/2, Peetambara Aasheesh
Fatehnagar
Sherkot-246747
Bijnor
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Email- sudha.raje7@gmail.com
Mobile- 9358874117
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