सुधा राजे का पत्र - चीटरनामा।
पाठकगण
ग़ौर फ़रमायें '
कि सन् उन्नीस सौ सत्तर के दशक में
भी ""ग्वालियर "मंडल के सब स्कूल
""दो पालियों "में चलते थे ।
हम सुबह छह बजे स्कूल पहुँचते सात तक
स्पोर्ट चलता 'सात बजे
प्रार्थना और साढ़े सात पर कक्षायें
चालू हो जातीं थीं ।
दोपहर बारह बजे छुट्टी होती तब
दूसरी शिफ्ट के बच्चे आ जाते ।
यानि एक इमारत दो स्कूल
बनाती और दुगुने बच्चे पढ़ते ।
हम स्वयं पढ़े हैं कभी दोपहर बारह से
पाँच बजे की पाली में ।
तो कभी प्रातः छह से बारह
वाली पाली में ।
आज भी ग्वालियर मंडल के लगभग
सभी प्रायवेट और सरकारी स्कूलों में
दो पालियाँ ही चलती है ।
इससे
बढ़ती जनसंख्या के हिसाब से भी कम
इमारतों में दोगुना प्रबंध
हो जाता है ।
और तो और शाम पाँच से रात आठ बजे
तक उन्ही स्कूल भवनों में नाईट क्लास
लॉ कॉलेज और ईवनिंग की स्पोर्ट
कैराटे स्विमिंग क्लास भी सुबह
भी स्पोर्ट और मार्च पास्ट चलते
रहते थे ।
प्रातः की कक्षा में अकसर छोटे बच्चे
पहली से आठवीं तक के पढ़ते थे
जो बारह बजे से एक के बीच घर आकर
आराम करते ।
और दोपहर की पाली में आठवीं से
बारहवीं तक के बच्चे पढ़ते थे ।
शाम सवेरे ""उच्च शिक्षा या स्पोर्ट
की कक्षायें होतीं।
यूपी में स्कूल एक इमारत बस एक बार
ही प्रयोग में आती है ''बच्चे आठ बजे जाते
है दो बजे घर आते हैं । जबकि जनसंख्या के
दवाब से दोगुने स्कूल चाहिये । तब?
ग्वालियर संभाग जैसा उपाय क्यों नहीं?
छोटे बच्चे सुबह साढ़े छह से बारह पढ़ें और
जूनियर बच्चे बारह साढ़े बारह से साढ़े
चार या पाँच तक पढ़ें और ""बालिग
लङकों को पाँच से सात या आठ तक
की कक्षाओं का लाभ कुछ खास खास
विष्यों जैसे स्पोर्ट और लॉ कॉलेज के लिये
दिया जा सकता है ।
©®सुधा राजे
--
Sudha Raje
Address- 511/2, Peetambara Aasheesh
Fatehnagar
Sherkot-246747
Bijnor
U.P.
Email- sudha.raje7@gmail.com
Mobile- 9358874117
ग़ौर फ़रमायें '
कि सन् उन्नीस सौ सत्तर के दशक में
भी ""ग्वालियर "मंडल के सब स्कूल
""दो पालियों "में चलते थे ।
हम सुबह छह बजे स्कूल पहुँचते सात तक
स्पोर्ट चलता 'सात बजे
प्रार्थना और साढ़े सात पर कक्षायें
चालू हो जातीं थीं ।
दोपहर बारह बजे छुट्टी होती तब
दूसरी शिफ्ट के बच्चे आ जाते ।
यानि एक इमारत दो स्कूल
बनाती और दुगुने बच्चे पढ़ते ।
हम स्वयं पढ़े हैं कभी दोपहर बारह से
पाँच बजे की पाली में ।
तो कभी प्रातः छह से बारह
वाली पाली में ।
आज भी ग्वालियर मंडल के लगभग
सभी प्रायवेट और सरकारी स्कूलों में
दो पालियाँ ही चलती है ।
इससे
बढ़ती जनसंख्या के हिसाब से भी कम
इमारतों में दोगुना प्रबंध
हो जाता है ।
और तो और शाम पाँच से रात आठ बजे
तक उन्ही स्कूल भवनों में नाईट क्लास
लॉ कॉलेज और ईवनिंग की स्पोर्ट
कैराटे स्विमिंग क्लास भी सुबह
भी स्पोर्ट और मार्च पास्ट चलते
रहते थे ।
प्रातः की कक्षा में अकसर छोटे बच्चे
पहली से आठवीं तक के पढ़ते थे
जो बारह बजे से एक के बीच घर आकर
आराम करते ।
और दोपहर की पाली में आठवीं से
बारहवीं तक के बच्चे पढ़ते थे ।
शाम सवेरे ""उच्च शिक्षा या स्पोर्ट
की कक्षायें होतीं।
यूपी में स्कूल एक इमारत बस एक बार
ही प्रयोग में आती है ''बच्चे आठ बजे जाते
है दो बजे घर आते हैं । जबकि जनसंख्या के
दवाब से दोगुने स्कूल चाहिये । तब?
ग्वालियर संभाग जैसा उपाय क्यों नहीं?
छोटे बच्चे सुबह साढ़े छह से बारह पढ़ें और
जूनियर बच्चे बारह साढ़े बारह से साढ़े
चार या पाँच तक पढ़ें और ""बालिग
लङकों को पाँच से सात या आठ तक
की कक्षाओं का लाभ कुछ खास खास
विष्यों जैसे स्पोर्ट और लॉ कॉलेज के लिये
दिया जा सकता है ।
©®सुधा राजे
--
Sudha Raje
Address- 511/2, Peetambara Aasheesh
Fatehnagar
Sherkot-246747
Bijnor
U.P.
Email- sudha.raje7@gmail.com
Mobile- 9358874117
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