सुधा राजे का लेख -""दासता बनाम संस्कृति"" (भाग 2)

आपकी आधुनिकता का सम्मान हम
तभी कर सकते हैं जब आप हमारे
ग़वारपन को अपमानित न करें ।
कोई लंबी चोटी बिंदी बुरका घूँघट
पायल नथ और परिवार में
ही रमी रची बसी स्त्री ""का यदि आप
मजाक बनाती है बजाय उसे सम्मान
देने के ।
तो आपका आधुनिक वेश और कपङे ज्ञान
और अभिव्यक्ति कमाई और
ओहदा """उसके लिये भी दो तसले
गोबर बराबर भी कीमत
नहीं रखता क्योंकि गोबर तो फिर
बीस रुपये दे ही देगा ।
©®सुधा राज

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Sudha Raje
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