सुधा राजे का पत्र- " राजनीति?? या संवेदना??

एक महिला होने के नाते हमें आपसे
सहानुभूति तो है,
किंतु आपने जो किया वह कतई
किसी हृदयवान स्त्री का कृत्य
नहीं था अपितु एक
"""राजनीति ""का मामला अधिक
लग रहा था ।
यूपी की सपा अखिलेश सरकार
को ''नीचा दिखाने का एक और
बढ़िया बहाना था और
''नारीमुक्ति हित लिबरेशन ""
के नाम पर आपने '''निहायत
ग़ैरज़िम्मेदाराना हरक़त की ।
एक ""शव ""की बेहुरमती!!!
एक स्त्री
दो अबोध बच्चों की माता
एक भारतीय विवाहिता
जिसने अपने को रेप होने से बचने
को योद्धा की तरह आखिरी साँस
तक ज़ंग लङी उसको ''विवश होकर
मर जाने के बाद, '
निर्वस्त्र ही बिना आवश्यक
परदा डाले ',पूरे संसार के सामने
नुमाईश लगा दी!!!!!
हर तरफ रक्त दिख रहा है ।
लिखने से भी स्पष्ट मंतव्य
हो सकता था कि इस हालत में
पङी स्त्री को क्या झेलना पङा होगा ।
"""किंतु
वीभत्सता को भङकाऊ बगावत में
कैश करने की धुन में आपके बाद एक के
बाद एक हज़ारों लाखों आँखों ने
""वह स्त्री उस हालत में
देखी जिसको बचाने के ही लिये वह
मर तक गयी!!!!!!
महिला पुलिस के हजारों हाथ
ही कहीं नहीं दिखे?
एक यूपियन महिलापुलिस का बल
विक्रम बिजनौर की महिलाओं
को पीटने में तो दिखा जहाँ पुरुष
पुलिसिये भी लाठी चला रहे थे?
किंतु महिला पुलिस
का जो असली कार्य है """स्टॉप
क्राईम अगेन्स्ट वुमैन ""वह
नहीं दिखता?
स्त्री का मामला होने पर
महिला पुलिस आगे बढ़कर इंसाफ के
लिये डोर नहीं थाम सकतीं तब
""महिला आरक्षण और महिलाओं
को अधिक से अधिक पद पर बिठाने
का अर्थ ही क्या रह जाता है?
स्मरण रहे कि एक महिला स्थानीय
नेता के विरुद्ध प्राथमिकी सूचित
की गयी है जिन्होने प्रथम
दृष्टया वे चित्र अपलोड किये थे
उनका तर्क है कि उन्होने
स्त्री हित की लङाई में
ऐसा किया और उनको आश्चर्य है
कि उनपर
ही काररवाही हो रही है
महिला नेत्रियाँ "ध्यान रखें
कि विधि का शासन संविधान
की सत्ता है व्यक्ति नहीं "
और वीभत्स अपरूप निर्वस्त्र
सामग्री का प्रकाशन अपराध है।
अति उत्साह में ये कभी न भूले
कि "बलात्कार
तो स्त्री का ही होता है किंतु उस
के साथ परिवार
कुनबा बिरादरी नगर
भी अपमानित होता है देश
ही नहीं समूचा महाद्वीप भी ।
और सब जानते है कि यदि प्रकरण
स्त्री के शव का है तो बृहदत्तर
प्रतिशत आशंका बलात्कार
की ही रहती है अनुमानित "
तब आरोपित अपराधी दोष सिद्ध
होने से पूर्व तक और मृतका सिवाय
पुलिस साक्ष्य के
कदापि """पहचान '''प्रकट
नहीं किये जाने का ही विधान है ।
यहाँ तक कि उसके परिवार मोहल्ले
तक का नाम
नहीं दिया जाना आचारसंहिताबद्ध
है ।
(पहले समाज का दृष्टिकोण बदलिये
फिर मृतक या पीङित पर
व्याख्यान झाङिये )
तब तक विवेक से चलें हर हाल में ।
(सुधा राजे)

--
Sudha Raje
Address- 511/2, Peetambara Aasheesh
Fatehnagar
Sherkot-246747
Bijnor
U.P.
Email- sudha.raje7@gmail.com
Mobile- 9358874117

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