सुधा राजे का लेख --""तेरे पास जीने केलिए क्या है लङकी??""(भाग छः)
Sudha Raje
महिलाओं को उपदेश देने से पहले ये दहेज
प्रथा बंद करो और बेटी को पुत्र
की तरह माँ बाप को सहारा देने का हक
दो घरेलू औरत को निठल्ली बेकार और पैर
की जूती समझना बंद करो और औरतें बच्चे
पैदा करने की मशीन या केवल पुरुष
की सेवा का यंत्र नहीं हैं यह समझाओ वे
कलाकार वैज्ञानिक डॉक्टर इंजीनियर
साहित्यकार और हुनरमंद हैं ।
शादी का मतलब जीवन भर
चारदीवारी की कैद
का पट्टा नहीं होता और न ही कच्छे
बनियान टॉयलेट पॉटी सूसू जूठन धोने
का ठेका 'दलितों के बाद अब
स्त्रियों को गुलामी में रखने
की मानसिकता बंद करो । विवाह
करना उतना जरूरी नहीं है
जितना जरूरी है मानव की तरह सम्मान
से जीना । लाखों औरतें जॉब और परिवार
दोनों बखूबी सँभालती हैं जबकि पुरुष
केवल एक ही काम कर पाता है ।
गृहिणियों को जितना अपमानित
सदियों से कमाई के नाम पर किया
Like · 1 · Edit · 10 minutes ago
Manmohan Singh
बहुत अच्छा विषय , और बहुत ही अच्छे ढंग
से उठाया आपने .... पिछले सप्ताह हमारे
लुधियाना शहर में भी बिल्कुल
ऐसी ही एक घटना हुई ..खबर
छपी कि एक नौजवान एक लग्जरी कार में
मॄत पाया गया..वजह थी हेरोइन
की ओवरडोज ....खुलासा हुआ
कि माता पिता एक मशहूर डाक्टर
दँपत्ति हैं ,जो इसीप्रकार रातदिन
पैसा कमाने में व्यस्त थे ....उन्हें बहुत देर
से पता चला कि अकेलेपन से परेशान
इकलौता बेटे ने ड्रग्स से दोस्ती कर
ली थी ... दुखी माँबाप ने स्वीकार
किया कि बेटा कहता था कि आपके पास
तो मेरे लिये कोई समय ही नहीं है .....
अब दोनों अकेले हैं टूट चुके हैं
Like · 2 · 8 minutes ago
Ajay Saini
शानदार। हाथ को पलट कर
देखना पड़ेगा कि हिफाजत से बंद
की गयी मुट्ठी मे क्या हैं
सोना या कोयला।
Like · 1 · 4 minutes ago
Prabhat Tripathi
सभी अपनीआर्थिक उत्पादकता बढ़ाने में
लगे हैं। सबकुछ भूल कर।
Like · 1 · 4 minutes ago
Brajbhushan Prasad
आपने मेरे मुंह की बात छीन ली। कल मैंने
यही बात कही थी। घर पर ध्यान
देना,बच्चों पर ध्यान देना और उन्हें
संस्कारी बनाना ये भी अपने आप में लाख
रूपये की नौकरी जैसी ही है। मै जब
वैशाली,गाजियाबाद के एक किराये के
मकान में रहता था तो एक हमारे
पडोसी थे दोनों मियां बीबी IBM में
काम करते थे एक छोटा बच्चा करीब 6
महीने का था जिसे वे वैशाली के ही एक
क्रंच में डाल देते थे जो हमलोगों के बगल में
ही था। शाम को जब आते तो बच्चे
को भी साथ लेते आते।
मेरी बड़ी बेटी भी वैशाली में
ही रहती थी तो प्राय रोज ही मै
नास्ता करने के बाद उससे मिलने
जाया करता था रास्ते में ही वह क्रंच
था। हमेशा ही मैंने उस पड़ोसी के बच्चे
को रोते हुए पाता था। एक दिन
तो आया ने उसे चूप कराने के लिए
जोरदार थप्पड़ भी लगाया। यह सब मेरे
लिए तो असहनीय था मैंने उन दम्पत्ति से
शिकायत भी की लेकिन उन लोगों ने उस
पर कुछ खास ध्यान नहीं दिया।
कहानी कहने का यही मतलब है की जिस
समय बच्चे को माँ बाप का प्यार
मिलना चाहिए उस समय जिन्दगी के
आपा धापी के वजह से उसे दे नहीं पाते।
Like · 2 minutes ago
Subhash Vikram
माँ बाप बेटे या बेटी के आज के लिए
नहीं सोचते ,उन्हें अपने बच्चे का भविष्य
सुधारना होता है । जो अभी सामने है
उसे छोड़ उस सपने के पीछे भागने
में,जो अभी आने
वाला है ,की प्रवित्ति जब तक ख़त्म
नहीं होगी ये घटनाएं रोज
घटती रहेंगी ।
Like · 2 minutes ago
Sudha Raje
पचास से अस्सी साल तक एक ही घर नें बंद
चौबीस घंटे ऑन ड्यूटी तैयार ""पुरुष
मिलने लगें ""तो अब
करोङों प्रतिभाशाली लङकियाँ मंगल तक
पर जाने को तैयार है नये नये अविष्कार
कर रही हैं और बच्चों को पाल कर
भी मानव रूप में एक हस्ती बनकर अपने
सम्मान से जी रही हैं
"""लङकियाँ '""केवल रसोई बेड और साफ
सफाई के लिये नहीं बनी है
पुरुषों की तरह उनमें भी हर प्रकार
का हुनर है एक कोख बाँध दी प्रकृति ने
सो भी ये सिद्ध होता है कि संतान के
लिये स्त्री अधिक कर्त्तव्य परायण है ।
पीठ पर बच्चे बाँधे करोङो औरतें
रोटी कमाती हैं । और ये कमाना केवल
सरकारी प्रायवेट जॉब नहीं है । ढोर
पालना खेत की कटाई निराई गुङाई
करघा चरखा टोकरी चाय बागान
मछली पालन शहद पालन सिलाई और
कुक्कुट पालन से लेकर घरों घरों बरतन
झाङू पोछा करना भी है """"पुरुष? कब
बैठ कर खिलाता है??? बीमार बेकार
पति को छोङकर कम ही विरली औरतें
जाती है लेकिन औरत को बीमार बेकार
देख पुरुष जरूर मायके पटक कर
दूसरी शादी कर लेता है
"""हमारा बेधङक संदेश है """घर बसाने से
पहले अपने निजी कमाई का प्रबंध जरूर
कर लें लङकियाँ ""क्योंकि पति के
बेवफा निकलने बीमार होने मर जाने
तलाक देने और घर में बंद करके अत्याचार
करने से बचाता है
"""रोज
किसी भी बहाने
आता निजी पैसा ""
बच्चों के फैसले
वही माँ ले सकती है जो कमाती है।
--
Sudha Raje
Address- 511/2, Peetambara Aasheesh
Fatehnagar
Sherkot-246747
Bijnor
U.P.
Email- sudha.raje7@gmail.com
Mobile- 9358874117
महिलाओं को उपदेश देने से पहले ये दहेज
प्रथा बंद करो और बेटी को पुत्र
की तरह माँ बाप को सहारा देने का हक
दो घरेलू औरत को निठल्ली बेकार और पैर
की जूती समझना बंद करो और औरतें बच्चे
पैदा करने की मशीन या केवल पुरुष
की सेवा का यंत्र नहीं हैं यह समझाओ वे
कलाकार वैज्ञानिक डॉक्टर इंजीनियर
साहित्यकार और हुनरमंद हैं ।
शादी का मतलब जीवन भर
चारदीवारी की कैद
का पट्टा नहीं होता और न ही कच्छे
बनियान टॉयलेट पॉटी सूसू जूठन धोने
का ठेका 'दलितों के बाद अब
स्त्रियों को गुलामी में रखने
की मानसिकता बंद करो । विवाह
करना उतना जरूरी नहीं है
जितना जरूरी है मानव की तरह सम्मान
से जीना । लाखों औरतें जॉब और परिवार
दोनों बखूबी सँभालती हैं जबकि पुरुष
केवल एक ही काम कर पाता है ।
गृहिणियों को जितना अपमानित
सदियों से कमाई के नाम पर किया
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Manmohan Singh
बहुत अच्छा विषय , और बहुत ही अच्छे ढंग
से उठाया आपने .... पिछले सप्ताह हमारे
लुधियाना शहर में भी बिल्कुल
ऐसी ही एक घटना हुई ..खबर
छपी कि एक नौजवान एक लग्जरी कार में
मॄत पाया गया..वजह थी हेरोइन
की ओवरडोज ....खुलासा हुआ
कि माता पिता एक मशहूर डाक्टर
दँपत्ति हैं ,जो इसीप्रकार रातदिन
पैसा कमाने में व्यस्त थे ....उन्हें बहुत देर
से पता चला कि अकेलेपन से परेशान
इकलौता बेटे ने ड्रग्स से दोस्ती कर
ली थी ... दुखी माँबाप ने स्वीकार
किया कि बेटा कहता था कि आपके पास
तो मेरे लिये कोई समय ही नहीं है .....
अब दोनों अकेले हैं टूट चुके हैं
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Ajay Saini
शानदार। हाथ को पलट कर
देखना पड़ेगा कि हिफाजत से बंद
की गयी मुट्ठी मे क्या हैं
सोना या कोयला।
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Prabhat Tripathi
सभी अपनीआर्थिक उत्पादकता बढ़ाने में
लगे हैं। सबकुछ भूल कर।
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Brajbhushan Prasad
आपने मेरे मुंह की बात छीन ली। कल मैंने
यही बात कही थी। घर पर ध्यान
देना,बच्चों पर ध्यान देना और उन्हें
संस्कारी बनाना ये भी अपने आप में लाख
रूपये की नौकरी जैसी ही है। मै जब
वैशाली,गाजियाबाद के एक किराये के
मकान में रहता था तो एक हमारे
पडोसी थे दोनों मियां बीबी IBM में
काम करते थे एक छोटा बच्चा करीब 6
महीने का था जिसे वे वैशाली के ही एक
क्रंच में डाल देते थे जो हमलोगों के बगल में
ही था। शाम को जब आते तो बच्चे
को भी साथ लेते आते।
मेरी बड़ी बेटी भी वैशाली में
ही रहती थी तो प्राय रोज ही मै
नास्ता करने के बाद उससे मिलने
जाया करता था रास्ते में ही वह क्रंच
था। हमेशा ही मैंने उस पड़ोसी के बच्चे
को रोते हुए पाता था। एक दिन
तो आया ने उसे चूप कराने के लिए
जोरदार थप्पड़ भी लगाया। यह सब मेरे
लिए तो असहनीय था मैंने उन दम्पत्ति से
शिकायत भी की लेकिन उन लोगों ने उस
पर कुछ खास ध्यान नहीं दिया।
कहानी कहने का यही मतलब है की जिस
समय बच्चे को माँ बाप का प्यार
मिलना चाहिए उस समय जिन्दगी के
आपा धापी के वजह से उसे दे नहीं पाते।
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Subhash Vikram
माँ बाप बेटे या बेटी के आज के लिए
नहीं सोचते ,उन्हें अपने बच्चे का भविष्य
सुधारना होता है । जो अभी सामने है
उसे छोड़ उस सपने के पीछे भागने
में,जो अभी आने
वाला है ,की प्रवित्ति जब तक ख़त्म
नहीं होगी ये घटनाएं रोज
घटती रहेंगी ।
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Sudha Raje
पचास से अस्सी साल तक एक ही घर नें बंद
चौबीस घंटे ऑन ड्यूटी तैयार ""पुरुष
मिलने लगें ""तो अब
करोङों प्रतिभाशाली लङकियाँ मंगल तक
पर जाने को तैयार है नये नये अविष्कार
कर रही हैं और बच्चों को पाल कर
भी मानव रूप में एक हस्ती बनकर अपने
सम्मान से जी रही हैं
"""लङकियाँ '""केवल रसोई बेड और साफ
सफाई के लिये नहीं बनी है
पुरुषों की तरह उनमें भी हर प्रकार
का हुनर है एक कोख बाँध दी प्रकृति ने
सो भी ये सिद्ध होता है कि संतान के
लिये स्त्री अधिक कर्त्तव्य परायण है ।
पीठ पर बच्चे बाँधे करोङो औरतें
रोटी कमाती हैं । और ये कमाना केवल
सरकारी प्रायवेट जॉब नहीं है । ढोर
पालना खेत की कटाई निराई गुङाई
करघा चरखा टोकरी चाय बागान
मछली पालन शहद पालन सिलाई और
कुक्कुट पालन से लेकर घरों घरों बरतन
झाङू पोछा करना भी है """"पुरुष? कब
बैठ कर खिलाता है??? बीमार बेकार
पति को छोङकर कम ही विरली औरतें
जाती है लेकिन औरत को बीमार बेकार
देख पुरुष जरूर मायके पटक कर
दूसरी शादी कर लेता है
"""हमारा बेधङक संदेश है """घर बसाने से
पहले अपने निजी कमाई का प्रबंध जरूर
कर लें लङकियाँ ""क्योंकि पति के
बेवफा निकलने बीमार होने मर जाने
तलाक देने और घर में बंद करके अत्याचार
करने से बचाता है
"""रोज
किसी भी बहाने
आता निजी पैसा ""
बच्चों के फैसले
वही माँ ले सकती है जो कमाती है।
--
Sudha Raje
Address- 511/2, Peetambara Aasheesh
Fatehnagar
Sherkot-246747
Bijnor
U.P.
Email- sudha.raje7@gmail.com
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