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Showing posts from June, 2013

लेख***कब तक अनदेखी धमनियों की माँसपेश की **खंड प्रलय एक चेतावनी**

**बस और नहीं सहा सुना जाता दीदी**

गाँव में पीपल तले।

अंजानी की कहानी।

साँसों का ।

इक तमाशा है मुहब्बत।

देखा ही नहीं

बस मैं क्यों।

मेरे पापा।

वक़्तऐसा भी कभी आता ह

गाँव मेरा हो गया बीमार बाबू क्या कर

कैसे इतनी व्यथा सँभालेबिटिया हरखू बाई की

ये हिंद बेटियों का भीहिन्दोस्तान हो

अब भी सहरा में आँसुओंकी नदी बहती है।

खनकती धूप की चादर प

केवल एक खबर है साहब।

कहानी **तुम्ही हो बंधुसखा तुम्हीं हो****

इतना तो सह लूँगी।

कहानी **एक और दक्ष यज्ञ **

मत कुरेदो घाव

ससुराल का हौआ।

राजनीति आप और हम।

कहानी**झूठी पत्तल**

ओ बेटियों।

मैं ही क्यों।

बिन पइसा सब सून।

ये भी कोई बात हो गई।

पैगाम लिखा।