सुधियों के बिखरे पन्ने --""एक थी सुधा""

Thank You Very Much Sister
"""CYNTHIA """"
"""
हो सकता है यह बयान कुछ
अतिवादियों को बुरा लगे ',
परंतु बिना किसी लाग लपेट के सच है
'
माँ के सिवा कोई शिद्दत से दुआ
नहीं कर सकता ऐसा महसूस हुआ ।
और
दुआ प्रार्थना आशीष और शुभकामना में
बचपन से ही विश्वास रहा है ।
सब धर्मों का आदर करते हुये
बिना किसी हठवादी मानसिकता के
पले बढ़े,
कुछ साल
पहले की घटना है, '
बहुत पेट दर्द और सूजन के बाद कई
दिन लगातार आठ से दस बारह दिन
तक ब्लीडिंग बुखार और कमजोरी से
चक्कर की स्थिति ''हो गयी
,
एक
माह
दो माह
तीन माह
पेन किलर लो कामकाज पर चलो ',
किंतु
समस्या बढ़ती गयी
आखिर थक हार कर डॉक्टर को दिखा
उन्होने सारे टेस्ट किये
,रेडियोलॉजिस्ट
पैथोलॉजिस्ट
और अल्ट्रासाउण्ड
कुछ भी तो नहीं मैम!!
किंतु ऐसा भयंकर दर्द और ब्लीडिंग
पहले तो कभी नहीं होती रही
एथलीट रहे और कभी ध्यान
नहीं दिया समय कौन सा है ',
डॉक्टर ने दिल्ली मुंबई दिखाने
की सलाह दी, '
बताया कि सीजेरियन ऑपरेशन से
हो सकता है कोई
जटिलता आयी हो ',
अगर ऐसा हुआ तो मेजर ऑपरेशन
कराना पङेगा, '
अब चिंता की बारी थी बच्चों के
एक्जाम्स और वे ट्यूटर के बिना कैसे
पढ़ेंगे ट्यूटर माँ और माँ बीमार, कौन
तैयार करे कौन खाना दे कौन घर देखे
स्कूल देखे, '
आज भी ये सब कार्य भारतीय पुरुष
नहीं कर पाते, या बिगाङ कर करते
हैं, बजट पहले ही, खराब और मुंबई के
रिश्तेदारों से बहुत
मेहमाननवाज़ी की नाउम्मीदी, '
'
याद आया
माँ कहतीं थी बचपन में कि ',दुआ
प्रार्थना आशीर्वाद ऐसा कवच है
जिसे कोई भेद ही नहीं सकता ',
पर दुआ हमारे लिये माँ की तरह
सच्ची शिद्दत भरकर करे तो करे
कौन??
सास नहीं
माँ नहीं
बङी बहिन नहीं
सब दूर दूर बिखरे बिखरे और बस मन
उदास हो गया, 'हम पूजा करें तो कैसे?
और
लगभग नास्तिक व्यक्ति को पूजा के
लिये कहना मतलब कुछ और
हँसी उङवाना ।
पेऱेण्ट टीचर मीटिंग में
""सिस्टर सिंथिया से मुलाकात
हुयी """
अचानक व्यक्तित्व रंग रूप सेहत
की गिरावट पर चौंक कर सवाल
किया तो बताना पङा ।
कुछ दिन बाद जब दुबारा तबियत
खऱाब हुयी तो बच्चों से सिस्टर ने यूँ
ही हाल चाल पूछा बच्चों ने
बताया माँ को बुखार है, ।
सिस्टर ने चार लाईनों की एक
प्रार्थना लिख कर दे दी और
बोली अपनी माँ से कहना सच्चे मन से
पढ़ें ।
उन्होने हमें कई बार चर्च के सामने
सिर झुकाते देखा था और अनाथ
बच्चों के बने सामान खरीदते ',
बच्चो ने सिस्टर से निवेदन
किया कि वे माँ के लिये दुआ करें,
सिस्टर ने प्रॉमिस किया और दुआ
की ।तब तक हम लोग किसी महानगर
जाने का मन बना चुके थे बस एक्जाम
की प्रतीक्षा थी ।
सिस्टर सिन्थिया की दी हुयी वे
चार लाईने पढ़ते पढ़ते हम रो पङते
और मदर मैरी से विनती करते
कभी लगता मरियम की शक्ल ध्यान में
स्वर्गीया माँ जैसी हो गयी है वह
हाथ फेर रही है धीरे धीरे जैसे बचपन
में नींद नें करती थीं माँ ',हम सो जाते
',
कुछ दिन बाद महसूस हुआ कि अब
उतनी तकलीफ नहीं है ',पेन किलर बंद
कर दिये और
सप्लीमेन्ट्री दवाईयाँ भी, कुछ दिन
बाद चक्कर और बुखार फिर सूजन
गायब हो गये ',
एक्जाम के बाद जब
सोचा कि महानगर जायें
तो सोचा पहले डॉक्टर को दिखा लें,
डॉक्टर बोली आप तो बिलकुल ठीक
है!!!!!!
सिस्सटर सिन्धिया के पास जब
अगली मीटिंग में गये
तो हमारी हिलकी बँध गयी ""thank
you sister """""
और कुछ शब्द बोले ही नहीं गये
',सिस्टर ने हमारे हाथ थपथपाये और
आशीर्वाद दिया
सिस्टर का ट्रांसफर
पता नहीं कहाँ हुआ किंतु
हमेशा उनकी ममतामयी मूर्ति याद
रहती है ',
©®सुधा राजे।


--
Sudha Raje
Address- 511/2, Peetambara Aasheesh
Fatehnagar
Sherkot-246747
Bijnor
U.P.
Email- sudha.raje7@gmail.com
Mobile- 9358874117

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