सुधा राजे का लेख -""खून का बदला निरदोष का खून और हीरो मतलब हत्यारा? ""(revised)
जिन जिन को फूलन ने मारा वे सब
निर्दोष थे
""असली बलात्कारियों को फूलन
नहीं मार सकी थी सरेंडर कर
दिया विक्रम के मरने पर """""उसने केवल
उन निर्दोषों को इसलिये
मारा था कि उनकी जाति ठाकुर
थी ""बस "जबकि उनको पहले
कभी देखा तक न था
काश फूलन अपने बलात्कारियों को मार
पाती, और भून देती उन सबको जिनने उसे
नग्न किया था काश मारती अपने पहले
पति को जिसने दस साल
की कन्या का रेप किया था,
राणा पागल है
तो फूलन भी पागल
ही थी
जो अपने अत्याचार
का बदला नहीं ले पाई और पूर्व
पति को जिन्दा छोङा जिसकी वजह से
सब तबाही हुयी उस बाप
को जिंदा छोङा जिसने दस साल
की लङकी तीस साल के प्रौढ़ को ब्याह
दी और नाबालिग बालिग लङके मार डाले
केवल ""जाति के कारण "
कोई वीर सा बागी नहीं थी
हत्यारिन थी बस
नौ साल के लङके की हत्या पंद्रह साल के
किशोर की हत्या???
क्यों की फूलन ने??
वे तो उसे जानते तक नहीं थे??
और फिर सांसद बनकर नये पति तीसरे
चौथे या पाँचवे के साथ रहकर ""
भी असली गुनहगारों को नहीं ""मार
सकी?
पूरा गाँव मार दिया
लेकिन
वह डाकू जिसने गैंग रेप कराया छोङ
दिया???
वे छिछोरे जिन्होने कपङा खीचा छोङ
दिया
वह पति जितने रेप के बाद कुंये पर
भेजा छोङ दिया???
बागी बनकर लूट पाट
डकैती निर्दोषों की हत्यायें बच्चों के
अपहरण और एक के बाद एक
की सहशायिनी रही फूलन!!!!!
किसी "घायल "स्त्री का आदर्श कैसे
हो सकती ह
यही होता है "जब लोग कहते है कि उसने
बलात्कार किया """चलो ##**&%
$#की बहिन बेटी खींच लो """"""
जाति
मुद्दा नहीं था
फूलन का असली अपराधी बाप था
दूसरा पति
बाकी वह गिरोह डाकुओं का ।
फूलन
एक "कथा है कि अत्याचार
किसी को भी वहशी बना सकता है ।
वह
आदर्श नहीं
विकृत
वहशत की कथा है ।
चंबल आज भी बाल विवाह और कन्या भ्रूण
हत्या का शिकार है ।
और
पान सिंह
मलखान सिंह
जैसे
डाकू भी वहीं के थे ।
कारण है तेज मिजाज बदले की भावना औऱ
आर्थिक अंतर
स्त्रियों पर
फूलन कांड के बाद और भी बंदिशें बढ़ीं
लोग
हर गुस्सैल लङकी को बङी फूलन बनने
चली कहकर प्रताङित करते
ये प्रताङना
पिता भाई और पति देते ।
फूलन
को
निर्दोषों को "जातीय आधार पर हत्यायें
करना जो जायज ठहराते हैं वे ही
फूलन के निर्माता हैं
चंबल में बागी होने को बहाना भर चाहिये
फिर तो
पश्चिमी यूपी की हर बस्ती में पचास साठ
फूलन हर साल होनी चाहिये ।
गुनाह तो गुनाह है न
करे कोई भरे निर्दोष
?
य़े महिमामंडन कब तक
अरे बङा ज़ुल्म
हुआ तुझ पर चल बीहङ बागी बनेगे लूट करेंगे
पकङ करेगे मर्डर करेगे
यह एक फैशन भी है चंबल में जो वहाँ रह
चुका हो वही समझेगा
बाकी को चंबल डिजनीलैंड।
जो जिस मजहब का है वह केवल
उसको ही सपोर्ट करने लगा है इंसाफ
औरमानवता "मजहबी ज़ुनून में अब दब कर
रहगये "भारतीय सुन्नी "इराक़ पर चुप
हैंऔर ग़ाज़ा पर रोड शो???
जबकि हत्यारेदोनों हैं लोग भङभङाये बैठे
है
चाहेओसामा लादेनहो या बगदादी या कोईडाकूलुटेरा हत्यारा """"फटाफटहीरो करण
साधना जी फूलन उस जगह से थी जहाँ हम
बरसों रहे बचपन गुजारा ', वहाँ बाल
विवाह आज भी आम बात है 'और मूल जङ है
"बालिका का प्रौढ़ से शादी और दस
साल की लङकी पर सुहागरात के नाम पर
बलात्कार "जिसको जाति जिसकी फूलन
थी समर्थन प्राप्त है ', फूलन
का पिता "अपराधी क्यों नहीं??
फूलन के पिता ने हट्टे कट्ठे प्रौढ़ से
अपनी जिद्दी गुस्सैल अनपढ़
बालिका की शादी कर दी ', ससुराल में
फूलन की चीखों पर औरतें ढोलक
बजाती हँसती रहीं? वे औरतें
अपराधी क्यों नहीं??
फूलन का पति शराबी और अय्याश,
ससुराल में कुँयें से पानी भरने भेज देता है
एक बच्ची को रेप के बाद जिसकी चीखें
सारा पङौस सुनता रहा,, वे सब लोग
अपराधी क्यों नहीं,, लोगों की नजरें
"शादी के पहले और शादी के बाद """"बस
इसी परिधि में क्यों घूमती है???? ये सोच
ये व्यवस्था ये समाज
अपराधी क्यों नहीं??
फूलन को लङकों ने छेङा और डाकुओं के
गिरोह ने किडनैप कर लिया, ' वहाँ गैंग
रेप करने वाले भी डाकू थे और फूलन
को बचाने वाले भी डाकू """"""एक डाकू
बनने की जिस प्रक्रिया से फूलन
गुजरी और डाकू बन गयी """""बाकी डाकू
भी उसी प्रक्रिया से गुजर कर डाकू बने
"""यानि लूटपाट हत्या अपमान सहकर
बागी हो गये """"तो फिर बागी होकर
""फूलन बच्चों के किडनैप दुकान बाजार
की लूट "निर्दोषों की हत्या करती है
"""जायज?? क्योंकि "विक्ट्म है???
तो फूलन पर जुल्म करने वाले भी जायज
क्योंकि वे भी विक्टिम हैं?? सही है न??
खून का बदला खून? बलात्कार
का बदला बलात्कार?
जातीय विभाजन चंबल में इतने गहरे
नहीं हैं जितने यूपी बिहार में । लोग खूब
हिल मिलकर रह लेते है "किसान मछुआरे
और मजदूर सब पर भारी है ""डकैत
"जिनकी मुखबिरी करो तो मौत साथ
दो तो मौत "लेकिन
लोगों की सहानुभूति डाकुओं से थी एक
समय तक क्योंकि तब डाकू केवल
सूदखोरों और अंगरेजों को लूटते "बहिन
बेटियों को कभी छूते तक नहीं और
कन्यादान वगैरह कर देते भात दहेज दे देते
।काली भवानी पूजन के समय कन्याओं
को दान देते ।किंतु बाद में लोग
धंधेबाजी के लिये डाकू बनने लगे और
बच्चों औरतों के अपहरण कुकर्म बलात्कार
हत्या के ठेके वोट के ठेके और
फिरोती रँगदारी करने लगे ।फूलन
जैसी औरतों को साझी भोग्या बनाने के
लिये रख लिया जाता या बॉस की रखैल
बनाकर । गैंग के बिना फूलन की कोई दम
नहीं थी । सरगने की रखैल होने नाते
हाथ में बंदूक लिये दो चार हत्यायें कर ने
कोई वीरता का काम नहीं "फिर तो हर
निर्दोष जो मारा गया उसके परिवार
को हक है कि सारे
मछुआरों का सफाया कर डाले???
फूलन सतायी गयी वैसे ही जैसे देश
की लाखों लङकियाँ "दामिनी "से
बुरा क्या होगा!!!!!!किंतु फूलन जब डाकू
बनने गयी तब वह पति से बचने ससुराल
की मेहनत मजदूरी से बचने और
पिता पति दोनों के घर से ""वंचित ""कर
दी जाने की वजह से गयी ।अगर
पिता और पति ""आज
भी किसी स्त्री को ठुकरा दें??वह अनपढ़
हो और बेरोजगार?? प्रेम की प्यास तन में
हो मन अकेला तो वह कहाँ जाये??ये
""कहाँ जाये "का सवाल
अपराधी क्यों नहीं?ऐसी लङकियाँ मर
जाती हैं भाग जाती है कोठे या वेश्यालय
पब या बार चली जाती है
वैरायटी शो या किसी की रखैल
बना दी जाती है ।चंबल में कोई ""कुछ
रास्ता नहीं या तो मरो या बंदूक
उठा लो "फूलन को गैंग ने
अपना लिया बॉस के लिये सब जायज है ।
अब डाकू की शादी करता कौन है
शादी के बाद जो डाकू
हो तो बीबी बच्चे "छूट जाते है 'दो चार
को तो हम ही जानते हैं जैसे हर
चंबली जानता है ।महिमा मंडन
बंबईया फिल्मों ने डाकुओं का कर दिया ।
क्योंकि उनको ये बंदूक ये बीहङ ये हत्यायें
सब अचंभा लगता है ।लेकिन इसे जातीय
नायक बनाने का काम किया यूपी के
नेताओं ने जब इटावा कानपुर तक फूलन
की गैंग आ गयी ।सरेंडर
उसकी आखिरी गली थी साथी सब मारे
जा चुके थे और वह भी एनकाउंटर में मार
दी जाती ।सांसद बनने के पीछे
भी जातीय
राजनीति थी वरना ""निर्दोषों की हत्या के
प्रायश्चित्त में उसको ""समाज सुधारक
या संन्यासिन होना चाहिये था ।फूलन
महत्त्वाकांक्षी थी जिसका लाभ उसके
अंतिम और नये पति ने उठाया ।शेरसिंह
राणा काबुल से पृथ्वीराज की कब्र उखाङ
लाया, और फूलन को मार
डाला बिना किसी दुश्मनी के
क्योंकि उसने
"जाति "को निशाना बनाकर आधा गाँव
अनाथ कर
दिया था, :जबकि अपराधियों को सजा दिलाने
मारने में कोई
रुचि नहीं ली,राणा भी उसी मानसिकता का प्रतिनिधि है
""फिर भी सवाल तो उठता है
कि ""सरेंडर करने से क्या कोई
हत्यारा "नायक बनने लायक होता है?
क्या दोष मुक्त हो जाता है ?तब
बगदादी क्यों नहीं? कोई लादेन कल
सरेंडर कर दे तो? नायक? जवाब आप दें,।
--
Sudha Raje
Address- 511/2, Peetambara Aasheesh
Fatehnagar
Sherkot-246747
Bijnor
U.P.
Email- sudha.raje7@gmail.com
Mobile- 9358874117
निर्दोष थे
""असली बलात्कारियों को फूलन
नहीं मार सकी थी सरेंडर कर
दिया विक्रम के मरने पर """""उसने केवल
उन निर्दोषों को इसलिये
मारा था कि उनकी जाति ठाकुर
थी ""बस "जबकि उनको पहले
कभी देखा तक न था
काश फूलन अपने बलात्कारियों को मार
पाती, और भून देती उन सबको जिनने उसे
नग्न किया था काश मारती अपने पहले
पति को जिसने दस साल
की कन्या का रेप किया था,
राणा पागल है
तो फूलन भी पागल
ही थी
जो अपने अत्याचार
का बदला नहीं ले पाई और पूर्व
पति को जिन्दा छोङा जिसकी वजह से
सब तबाही हुयी उस बाप
को जिंदा छोङा जिसने दस साल
की लङकी तीस साल के प्रौढ़ को ब्याह
दी और नाबालिग बालिग लङके मार डाले
केवल ""जाति के कारण "
कोई वीर सा बागी नहीं थी
हत्यारिन थी बस
नौ साल के लङके की हत्या पंद्रह साल के
किशोर की हत्या???
क्यों की फूलन ने??
वे तो उसे जानते तक नहीं थे??
और फिर सांसद बनकर नये पति तीसरे
चौथे या पाँचवे के साथ रहकर ""
भी असली गुनहगारों को नहीं ""मार
सकी?
पूरा गाँव मार दिया
लेकिन
वह डाकू जिसने गैंग रेप कराया छोङ
दिया???
वे छिछोरे जिन्होने कपङा खीचा छोङ
दिया
वह पति जितने रेप के बाद कुंये पर
भेजा छोङ दिया???
बागी बनकर लूट पाट
डकैती निर्दोषों की हत्यायें बच्चों के
अपहरण और एक के बाद एक
की सहशायिनी रही फूलन!!!!!
किसी "घायल "स्त्री का आदर्श कैसे
हो सकती ह
यही होता है "जब लोग कहते है कि उसने
बलात्कार किया """चलो ##**&%
$#की बहिन बेटी खींच लो """"""
जाति
मुद्दा नहीं था
फूलन का असली अपराधी बाप था
दूसरा पति
बाकी वह गिरोह डाकुओं का ।
फूलन
एक "कथा है कि अत्याचार
किसी को भी वहशी बना सकता है ।
वह
आदर्श नहीं
विकृत
वहशत की कथा है ।
चंबल आज भी बाल विवाह और कन्या भ्रूण
हत्या का शिकार है ।
और
पान सिंह
मलखान सिंह
जैसे
डाकू भी वहीं के थे ।
कारण है तेज मिजाज बदले की भावना औऱ
आर्थिक अंतर
स्त्रियों पर
फूलन कांड के बाद और भी बंदिशें बढ़ीं
लोग
हर गुस्सैल लङकी को बङी फूलन बनने
चली कहकर प्रताङित करते
ये प्रताङना
पिता भाई और पति देते ।
फूलन
को
निर्दोषों को "जातीय आधार पर हत्यायें
करना जो जायज ठहराते हैं वे ही
फूलन के निर्माता हैं
चंबल में बागी होने को बहाना भर चाहिये
फिर तो
पश्चिमी यूपी की हर बस्ती में पचास साठ
फूलन हर साल होनी चाहिये ।
गुनाह तो गुनाह है न
करे कोई भरे निर्दोष
?
य़े महिमामंडन कब तक
अरे बङा ज़ुल्म
हुआ तुझ पर चल बीहङ बागी बनेगे लूट करेंगे
पकङ करेगे मर्डर करेगे
यह एक फैशन भी है चंबल में जो वहाँ रह
चुका हो वही समझेगा
बाकी को चंबल डिजनीलैंड।
जो जिस मजहब का है वह केवल
उसको ही सपोर्ट करने लगा है इंसाफ
औरमानवता "मजहबी ज़ुनून में अब दब कर
रहगये "भारतीय सुन्नी "इराक़ पर चुप
हैंऔर ग़ाज़ा पर रोड शो???
जबकि हत्यारेदोनों हैं लोग भङभङाये बैठे
है
चाहेओसामा लादेनहो या बगदादी या कोईडाकूलुटेरा हत्यारा """"फटाफटहीरो करण
साधना जी फूलन उस जगह से थी जहाँ हम
बरसों रहे बचपन गुजारा ', वहाँ बाल
विवाह आज भी आम बात है 'और मूल जङ है
"बालिका का प्रौढ़ से शादी और दस
साल की लङकी पर सुहागरात के नाम पर
बलात्कार "जिसको जाति जिसकी फूलन
थी समर्थन प्राप्त है ', फूलन
का पिता "अपराधी क्यों नहीं??
फूलन के पिता ने हट्टे कट्ठे प्रौढ़ से
अपनी जिद्दी गुस्सैल अनपढ़
बालिका की शादी कर दी ', ससुराल में
फूलन की चीखों पर औरतें ढोलक
बजाती हँसती रहीं? वे औरतें
अपराधी क्यों नहीं??
फूलन का पति शराबी और अय्याश,
ससुराल में कुँयें से पानी भरने भेज देता है
एक बच्ची को रेप के बाद जिसकी चीखें
सारा पङौस सुनता रहा,, वे सब लोग
अपराधी क्यों नहीं,, लोगों की नजरें
"शादी के पहले और शादी के बाद """"बस
इसी परिधि में क्यों घूमती है???? ये सोच
ये व्यवस्था ये समाज
अपराधी क्यों नहीं??
फूलन को लङकों ने छेङा और डाकुओं के
गिरोह ने किडनैप कर लिया, ' वहाँ गैंग
रेप करने वाले भी डाकू थे और फूलन
को बचाने वाले भी डाकू """"""एक डाकू
बनने की जिस प्रक्रिया से फूलन
गुजरी और डाकू बन गयी """""बाकी डाकू
भी उसी प्रक्रिया से गुजर कर डाकू बने
"""यानि लूटपाट हत्या अपमान सहकर
बागी हो गये """"तो फिर बागी होकर
""फूलन बच्चों के किडनैप दुकान बाजार
की लूट "निर्दोषों की हत्या करती है
"""जायज?? क्योंकि "विक्ट्म है???
तो फूलन पर जुल्म करने वाले भी जायज
क्योंकि वे भी विक्टिम हैं?? सही है न??
खून का बदला खून? बलात्कार
का बदला बलात्कार?
जातीय विभाजन चंबल में इतने गहरे
नहीं हैं जितने यूपी बिहार में । लोग खूब
हिल मिलकर रह लेते है "किसान मछुआरे
और मजदूर सब पर भारी है ""डकैत
"जिनकी मुखबिरी करो तो मौत साथ
दो तो मौत "लेकिन
लोगों की सहानुभूति डाकुओं से थी एक
समय तक क्योंकि तब डाकू केवल
सूदखोरों और अंगरेजों को लूटते "बहिन
बेटियों को कभी छूते तक नहीं और
कन्यादान वगैरह कर देते भात दहेज दे देते
।काली भवानी पूजन के समय कन्याओं
को दान देते ।किंतु बाद में लोग
धंधेबाजी के लिये डाकू बनने लगे और
बच्चों औरतों के अपहरण कुकर्म बलात्कार
हत्या के ठेके वोट के ठेके और
फिरोती रँगदारी करने लगे ।फूलन
जैसी औरतों को साझी भोग्या बनाने के
लिये रख लिया जाता या बॉस की रखैल
बनाकर । गैंग के बिना फूलन की कोई दम
नहीं थी । सरगने की रखैल होने नाते
हाथ में बंदूक लिये दो चार हत्यायें कर ने
कोई वीरता का काम नहीं "फिर तो हर
निर्दोष जो मारा गया उसके परिवार
को हक है कि सारे
मछुआरों का सफाया कर डाले???
फूलन सतायी गयी वैसे ही जैसे देश
की लाखों लङकियाँ "दामिनी "से
बुरा क्या होगा!!!!!!किंतु फूलन जब डाकू
बनने गयी तब वह पति से बचने ससुराल
की मेहनत मजदूरी से बचने और
पिता पति दोनों के घर से ""वंचित ""कर
दी जाने की वजह से गयी ।अगर
पिता और पति ""आज
भी किसी स्त्री को ठुकरा दें??वह अनपढ़
हो और बेरोजगार?? प्रेम की प्यास तन में
हो मन अकेला तो वह कहाँ जाये??ये
""कहाँ जाये "का सवाल
अपराधी क्यों नहीं?ऐसी लङकियाँ मर
जाती हैं भाग जाती है कोठे या वेश्यालय
पब या बार चली जाती है
वैरायटी शो या किसी की रखैल
बना दी जाती है ।चंबल में कोई ""कुछ
रास्ता नहीं या तो मरो या बंदूक
उठा लो "फूलन को गैंग ने
अपना लिया बॉस के लिये सब जायज है ।
अब डाकू की शादी करता कौन है
शादी के बाद जो डाकू
हो तो बीबी बच्चे "छूट जाते है 'दो चार
को तो हम ही जानते हैं जैसे हर
चंबली जानता है ।महिमा मंडन
बंबईया फिल्मों ने डाकुओं का कर दिया ।
क्योंकि उनको ये बंदूक ये बीहङ ये हत्यायें
सब अचंभा लगता है ।लेकिन इसे जातीय
नायक बनाने का काम किया यूपी के
नेताओं ने जब इटावा कानपुर तक फूलन
की गैंग आ गयी ।सरेंडर
उसकी आखिरी गली थी साथी सब मारे
जा चुके थे और वह भी एनकाउंटर में मार
दी जाती ।सांसद बनने के पीछे
भी जातीय
राजनीति थी वरना ""निर्दोषों की हत्या के
प्रायश्चित्त में उसको ""समाज सुधारक
या संन्यासिन होना चाहिये था ।फूलन
महत्त्वाकांक्षी थी जिसका लाभ उसके
अंतिम और नये पति ने उठाया ।शेरसिंह
राणा काबुल से पृथ्वीराज की कब्र उखाङ
लाया, और फूलन को मार
डाला बिना किसी दुश्मनी के
क्योंकि उसने
"जाति "को निशाना बनाकर आधा गाँव
अनाथ कर
दिया था, :जबकि अपराधियों को सजा दिलाने
मारने में कोई
रुचि नहीं ली,राणा भी उसी मानसिकता का प्रतिनिधि है
""फिर भी सवाल तो उठता है
कि ""सरेंडर करने से क्या कोई
हत्यारा "नायक बनने लायक होता है?
क्या दोष मुक्त हो जाता है ?तब
बगदादी क्यों नहीं? कोई लादेन कल
सरेंडर कर दे तो? नायक? जवाब आप दें,।
--
Sudha Raje
Address- 511/2, Peetambara Aasheesh
Fatehnagar
Sherkot-246747
Bijnor
U.P.
Email- sudha.raje7@gmail.com
Mobile- 9358874117
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