सुधा राजे का लेख -- दूसरा मौका।
लङका पढ़ा लिखा है
कुंडली मिल गयी
दहेज अधिक नहीं माँग रहे
देखने में ठीक ठाक है
अपनी बिरादरी का है ।
और????
और क्या???
इतनी दूर???
तो क्या हुआ, 'खाते पीते लोग हैं ' जब
मन करेगा लङकी आ जायेगी या इतने
सारे भाई भतीजे हैं चले जायेंगे?
और?
और क्या??
अब इतने कम पैसों में
तो ऐसा ही लङका मिलेगा!!! न!!
लङकी की जॉब छोङनी पङेगी?
तो क्या अब कोई खाने पहनने के लाले
तो हैं नहीं जो लङकी का जॉब
करना जरूरी हो!!!
और
ससुराल गाँव में है परिवार बङा है
लोग परंपरावादी है ',,?लङके के
स्वभाव का पता नहीं?
तो?
तो क्या गाँव की लङकी शहर आती है
वह नहीं रहती क्या?
शहर की कोई ये पहली लङकी है
जो गाँव रहेगी!!!
नसीब अपना अपना है जी अब
शादी के बाद तो रसोई घर बच्चे
ही लङकी का जीवन होते है!!!
और??
और क्या??
लङकी के नाम जमीन नहीं मकान
नहीं लॉकर नहीं और कोई आर्थिक
जरिया नहीं?
तो? तो क्या?
लङकी की शादी के बाद
पति की कमाई ही उसकी कमाई है ।
"
"
"
"
"
"
हैलो बेटा कैसे हो बेटा?
"
"
अच्छे हैं पापा "
"
"तुम रो क्यों रही हो दीदी?
"
कुछ नहीं बस तुम सबकी याद आ
रही थी,,
"
"
"
"
"
लीजिये सब्जी और दूध ये बाकी पैसे
अरे आंटी ये निशान कैसे?
"
"
"
कुछ नहीं बेटा बस 'जरा सीढ़ियों से
ही गिर गयी थी,!!
"
"
"
अब माँ नहीं रही और सब भाई अलग
अलग 'हो चुके हैं ' मैं पेंशनर हूँ
मेरी दवाई और पूजापाठ खाने पहनने
के ही खर्चे इतने हैं ',एडजस्ट
करो बेटा, '
'"
"'
"'
"'
"'
"'
और अब?
तलाक?
आत्महत्या?
पुनर्विवाह?
पुलिस?
"
"
"
"
और बेकसूर बच्चे?
"
"
"
"या
फिर घुट घुट सिसक सिसक कर दम
तोङ देना?
"
"
"
गुनहग़ार कौन??????
सब कुछ गँवाकर
क्या करे? """""तलाक? पुनर्विवाह?
आत्महत्या? पुलिस केस? या मर मर कर
घुटती रहे ''सबके सामने मुखौटा लगाकर?
ये सवाल हर ''तीसरे दूसरे घर का सवाल
है!!
"""पुरानी पीढ़ी नहीं तोङ
सकी """किंतु जैसे जैसे स्त्री का घरेलू सच
बाहर आ रहा है ""नई पीढ़ी अब
ठगी जाने को तैयार
नहीं """स्त्री का हर
क्रांतिकारी फैसला उसके बच्चों के
खिलाफ ही जा बैठने से ही वह ब्लैक मेल
होती रहती है """"रीढ़
की कमी मायका पैदा करता है """और
पाँव कट जाते है जॉब न होने से।
जैसे एक ""टी बी कैंसर या डायबिटीज
का रोगी """"पछताता है किंतु अंतिम
स्टेज पर अब कुछ नहीं केवल चमत्कार और
धीरज """"किंतु कहता है सबसे
भैया बीङी सिगरेट शराब
गुटखा नशा और अतिशय
मीठा छोङो """"वैसा हाल एक दशक
दो दशक बाद """ओवर एज्ड बेरोजगार
स्त्री का।
कैद "एक एक शक्ति छीनती जाती है ।
पहले सखी सहेलियाँ फिर
पिता माता भाई भतीजे फिर कजिन
फिर ',हॉबीज, फिर नौकरी करने की आयु
और फिर हुनर """"सबसे बाद में जो चीज
छिनती है, जीने और खुश रहने की इच्छा ',
एक "आयु होती है पंद्रह से पैंतीस """जब
कोई मानव सबसे अधिक कठिन टास्क
भी चुनौती लेकर पूरे कर लेता है
'''यही आयु होती है बनने बनाने कर
दिखाने की बाकी सब उस पर
खङा रहता है जो इस आयु में कर
लिया ",लेकिन अब """"भारत के संदर्भ में
ये नियम बदलना चाहिये """"आयु बंधन
स्त्रियों को जॉब देने में """सबसे
बङी बाधा है ""विवाह बीस से तीस के
बीच और विवाह होते ही बच्चे
"""ससुराल पति की जिम्मेदारी और
"""अजनबी अघटित
को झेलना """"स्त्री को दूसरा मौका मिलता कब
है??
ये पहला मौका जब "पुरुष पढ़ कर जॉब
दुकान व्यापार की तैयारी पर
लगाता है लङकी "को अवसर नहीं मिलते
या मिले हुये अवसरों को छीन
लिया जाता है "विवाह
उसकी सारी तकदीर तसवीर बदल कर
रख देता है "वह जब बङी आयु तक विवाह
न करे तो समाज को चुभे ""कर ले
तो ""कैरियर छिने ""घर कैरियर केवल
उनके बच पाते है ज्नका मायका करीब है
पिता भाई समर्थक और जॉब
नहीं छोङी ससुराल में लोग सही या कम
बुरे है और पति ""समान
विचारों का या समान जॉब
शिक्षा वातावरण संस्कारों का हो बच्चे
दादी या नानी सँभाल ने में मदद करें ।
©®सुधा राजे
--
Sudha Raje
Address- 511/2, Peetambara Aasheesh
Fatehnagar
Sherkot-246747
Bijnor
U.P.
Email- sudha.raje7@gmail.com
Mobile- 9358874117
कुंडली मिल गयी
दहेज अधिक नहीं माँग रहे
देखने में ठीक ठाक है
अपनी बिरादरी का है ।
और????
और क्या???
इतनी दूर???
तो क्या हुआ, 'खाते पीते लोग हैं ' जब
मन करेगा लङकी आ जायेगी या इतने
सारे भाई भतीजे हैं चले जायेंगे?
और?
और क्या??
अब इतने कम पैसों में
तो ऐसा ही लङका मिलेगा!!! न!!
लङकी की जॉब छोङनी पङेगी?
तो क्या अब कोई खाने पहनने के लाले
तो हैं नहीं जो लङकी का जॉब
करना जरूरी हो!!!
और
ससुराल गाँव में है परिवार बङा है
लोग परंपरावादी है ',,?लङके के
स्वभाव का पता नहीं?
तो?
तो क्या गाँव की लङकी शहर आती है
वह नहीं रहती क्या?
शहर की कोई ये पहली लङकी है
जो गाँव रहेगी!!!
नसीब अपना अपना है जी अब
शादी के बाद तो रसोई घर बच्चे
ही लङकी का जीवन होते है!!!
और??
और क्या??
लङकी के नाम जमीन नहीं मकान
नहीं लॉकर नहीं और कोई आर्थिक
जरिया नहीं?
तो? तो क्या?
लङकी की शादी के बाद
पति की कमाई ही उसकी कमाई है ।
"
"
"
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हैलो बेटा कैसे हो बेटा?
"
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अच्छे हैं पापा "
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"तुम रो क्यों रही हो दीदी?
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कुछ नहीं बस तुम सबकी याद आ
रही थी,,
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"
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लीजिये सब्जी और दूध ये बाकी पैसे
अरे आंटी ये निशान कैसे?
"
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कुछ नहीं बेटा बस 'जरा सीढ़ियों से
ही गिर गयी थी,!!
"
"
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अब माँ नहीं रही और सब भाई अलग
अलग 'हो चुके हैं ' मैं पेंशनर हूँ
मेरी दवाई और पूजापाठ खाने पहनने
के ही खर्चे इतने हैं ',एडजस्ट
करो बेटा, '
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"'
"'
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और अब?
तलाक?
आत्महत्या?
पुनर्विवाह?
पुलिस?
"
"
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और बेकसूर बच्चे?
"
"
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"या
फिर घुट घुट सिसक सिसक कर दम
तोङ देना?
"
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गुनहग़ार कौन??????
सब कुछ गँवाकर
क्या करे? """""तलाक? पुनर्विवाह?
आत्महत्या? पुलिस केस? या मर मर कर
घुटती रहे ''सबके सामने मुखौटा लगाकर?
ये सवाल हर ''तीसरे दूसरे घर का सवाल
है!!
"""पुरानी पीढ़ी नहीं तोङ
सकी """किंतु जैसे जैसे स्त्री का घरेलू सच
बाहर आ रहा है ""नई पीढ़ी अब
ठगी जाने को तैयार
नहीं """स्त्री का हर
क्रांतिकारी फैसला उसके बच्चों के
खिलाफ ही जा बैठने से ही वह ब्लैक मेल
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की कमी मायका पैदा करता है """और
पाँव कट जाते है जॉब न होने से।
जैसे एक ""टी बी कैंसर या डायबिटीज
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स्टेज पर अब कुछ नहीं केवल चमत्कार और
धीरज """"किंतु कहता है सबसे
भैया बीङी सिगरेट शराब
गुटखा नशा और अतिशय
मीठा छोङो """"वैसा हाल एक दशक
दो दशक बाद """ओवर एज्ड बेरोजगार
स्त्री का।
कैद "एक एक शक्ति छीनती जाती है ।
पहले सखी सहेलियाँ फिर
पिता माता भाई भतीजे फिर कजिन
फिर ',हॉबीज, फिर नौकरी करने की आयु
और फिर हुनर """"सबसे बाद में जो चीज
छिनती है, जीने और खुश रहने की इच्छा ',
एक "आयु होती है पंद्रह से पैंतीस """जब
कोई मानव सबसे अधिक कठिन टास्क
भी चुनौती लेकर पूरे कर लेता है
'''यही आयु होती है बनने बनाने कर
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खङा रहता है जो इस आयु में कर
लिया ",लेकिन अब """"भारत के संदर्भ में
ये नियम बदलना चाहिये """"आयु बंधन
स्त्रियों को जॉब देने में """सबसे
बङी बाधा है ""विवाह बीस से तीस के
बीच और विवाह होते ही बच्चे
"""ससुराल पति की जिम्मेदारी और
"""अजनबी अघटित
को झेलना """"स्त्री को दूसरा मौका मिलता कब
है??
ये पहला मौका जब "पुरुष पढ़ कर जॉब
दुकान व्यापार की तैयारी पर
लगाता है लङकी "को अवसर नहीं मिलते
या मिले हुये अवसरों को छीन
लिया जाता है "विवाह
उसकी सारी तकदीर तसवीर बदल कर
रख देता है "वह जब बङी आयु तक विवाह
न करे तो समाज को चुभे ""कर ले
तो ""कैरियर छिने ""घर कैरियर केवल
उनके बच पाते है ज्नका मायका करीब है
पिता भाई समर्थक और जॉब
नहीं छोङी ससुराल में लोग सही या कम
बुरे है और पति ""समान
विचारों का या समान जॉब
शिक्षा वातावरण संस्कारों का हो बच्चे
दादी या नानी सँभाल ने में मदद करें ।
©®सुधा राजे
--
Sudha Raje
Address- 511/2, Peetambara Aasheesh
Fatehnagar
Sherkot-246747
Bijnor
U.P.
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Mobile- 9358874117
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