सुधा राजे का लेख :- स्त्री और समाज :- माँ महान है !!पर किसकी??
तसवीरें जैसी दिखतीं हैं वैसी होतीं नहीं हैं ।
रिश्ते तत्काल नहीं टूटते ', वा ही कोई तोङने के लिये विवाह करता है ।
धोखाधङी की शादियों को जाने दें तो अमूमन "हर लङकी लङका हमेशा साथ रहना
है ये भावना लेकर ही विवाह करते हैं ।
फिर जहाँ पत्नी केवल गृहिणी होती है वहाँ अकसर "पति का रौब ग़ालिब रहता
है और स्त्री का अस्तित्व बच्चों सास ससुर पति में खो जाता है ।
जहाँ पत्नी ""आर्थिक स्तर पर मजबूती से खङी होती है और सामाजिक रूप से
सक्रिय होती है वहाँ "तमाम पुरुष स्त्री और तमाम अवसर उसे मिलते हैं ।
पुरुषप्रवृत्ति की तरह दोस्ती और मनोरंजन भी । स्त्री में प्रतिभा है
सुन्दरता है और बैक मजबूत है फिर उसका पेट भरा है बदन पर कपङे बढ़िया है
आर्थिक सुरक्षा मजबूत है । तब ""पुरुष अहंकार आहत होता है ""दाता
""स्वामी ""और पति ""होने का ""अभिमान ""इन सब बातों को ''क्रमशः टोकने
रोकने लगता है । क्योंकि ',अक्सर ग़ार ज़िम्मेदार पुरुष करते भी यही हैं
अपनी पत्नी को घर में दायरे में रखकर ""परस्त्री को "आई टॉनिक "सभा री
रौनक समझकर "हँसी मज़ाक बतियाना और "फ्लर्टिंग " अनेक विद्रूप संबंध इन
"बातों बातों में पनप जाते हैं । कहीं स्त्री का मन आहत असंतुष्ट होता है
कहीं तन । कहीं हिंसा मानसिक सह रही होती है कहीं शारीरिक । कहीं उसके
सपने बङे और कैरियर की महात्त्वाकांक्षा और ऊँची होती है जबकि पति परिवार
"हालात "अनुकूल नहीं होते और कहीं ',पति का मन कहीं और धन परस्त्री
कैरियर या अपनी मंजिल में उलझा होता है । अब ये सब बातें एक ""गैप ""पैदा
करतीं हैं ""छोटे नगरों और कसबों में जहाँ संस्कार समाज जाति खाप
पंचायतें बिरादरी बदनामी धर्म पाप पुण्य कमजोर आर्थिक शक्ति बच्चों का
भविष्य मायके ससुराल के परोक्ष दवाब स्त्री और हाँ पुरुष को भी ""हर हाल
में जोङे में रहने पर विवश रखते हैं ""वहीं महानगरीय अत्याधुनिक जीवन
शैली में कब चुपके से किसके वैवाहिक जीवन में कौन चोर बनकर "पति चुरा ले
गयी "या पत्नी चुरा ले गया "पता तब चलता है जब एक दिन झगङा तलाक की नौबत
पर आ जाता है । ये तलाक ''वैवाहिक हिंसा मारपीट असाध्य रोग छूत की असाध्य
बीमारी वैवाहिक संबंध न निभा पाने लायक मानसिक या दैहिक नपुंसकता गायब
रहना और चरित्रहीनता पॉलीगेमी वगैरह कुछ भी हो सकता है । आज भी
अत्याधुनिक समर्थ महानगरीय "परिवार की स्त्री को छोङ दें तो अमूमन औसत
भारतीय स्त्रियाँ ""हर हाल में अपनी शादी क़ायम रखती है ""
पति विकलांग है । मानसिक विक्षिप्त है । क्रोधी है शराबी है । यहाँ तक कि
दहेज उत्पीङन नपुंसकता या बलात्कार और बंदी कर रखने वाले पति को भी
निभातीं हैं ।
रिश्ते तत्काल नहीं टूटते ', वा ही कोई तोङने के लिये विवाह करता है ।
धोखाधङी की शादियों को जाने दें तो अमूमन "हर लङकी लङका हमेशा साथ रहना
है ये भावना लेकर ही विवाह करते हैं ।
फिर जहाँ पत्नी केवल गृहिणी होती है वहाँ अकसर "पति का रौब ग़ालिब रहता
है और स्त्री का अस्तित्व बच्चों सास ससुर पति में खो जाता है ।
जहाँ पत्नी ""आर्थिक स्तर पर मजबूती से खङी होती है और सामाजिक रूप से
सक्रिय होती है वहाँ "तमाम पुरुष स्त्री और तमाम अवसर उसे मिलते हैं ।
पुरुषप्रवृत्ति की तरह दोस्ती और मनोरंजन भी । स्त्री में प्रतिभा है
सुन्दरता है और बैक मजबूत है फिर उसका पेट भरा है बदन पर कपङे बढ़िया है
आर्थिक सुरक्षा मजबूत है । तब ""पुरुष अहंकार आहत होता है ""दाता
""स्वामी ""और पति ""होने का ""अभिमान ""इन सब बातों को ''क्रमशः टोकने
रोकने लगता है । क्योंकि ',अक्सर ग़ार ज़िम्मेदार पुरुष करते भी यही हैं
अपनी पत्नी को घर में दायरे में रखकर ""परस्त्री को "आई टॉनिक "सभा री
रौनक समझकर "हँसी मज़ाक बतियाना और "फ्लर्टिंग " अनेक विद्रूप संबंध इन
"बातों बातों में पनप जाते हैं । कहीं स्त्री का मन आहत असंतुष्ट होता है
कहीं तन । कहीं हिंसा मानसिक सह रही होती है कहीं शारीरिक । कहीं उसके
सपने बङे और कैरियर की महात्त्वाकांक्षा और ऊँची होती है जबकि पति परिवार
"हालात "अनुकूल नहीं होते और कहीं ',पति का मन कहीं और धन परस्त्री
कैरियर या अपनी मंजिल में उलझा होता है । अब ये सब बातें एक ""गैप ""पैदा
करतीं हैं ""छोटे नगरों और कसबों में जहाँ संस्कार समाज जाति खाप
पंचायतें बिरादरी बदनामी धर्म पाप पुण्य कमजोर आर्थिक शक्ति बच्चों का
भविष्य मायके ससुराल के परोक्ष दवाब स्त्री और हाँ पुरुष को भी ""हर हाल
में जोङे में रहने पर विवश रखते हैं ""वहीं महानगरीय अत्याधुनिक जीवन
शैली में कब चुपके से किसके वैवाहिक जीवन में कौन चोर बनकर "पति चुरा ले
गयी "या पत्नी चुरा ले गया "पता तब चलता है जब एक दिन झगङा तलाक की नौबत
पर आ जाता है । ये तलाक ''वैवाहिक हिंसा मारपीट असाध्य रोग छूत की असाध्य
बीमारी वैवाहिक संबंध न निभा पाने लायक मानसिक या दैहिक नपुंसकता गायब
रहना और चरित्रहीनता पॉलीगेमी वगैरह कुछ भी हो सकता है । आज भी
अत्याधुनिक समर्थ महानगरीय "परिवार की स्त्री को छोङ दें तो अमूमन औसत
भारतीय स्त्रियाँ ""हर हाल में अपनी शादी क़ायम रखती है ""
पति विकलांग है । मानसिक विक्षिप्त है । क्रोधी है शराबी है । यहाँ तक कि
दहेज उत्पीङन नपुंसकता या बलात्कार और बंदी कर रखने वाले पति को भी
निभातीं हैं ।
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