सुधा राजे की कविता :- जेहन पे ये ताले
दिल भला दर्द सँभाले तो सँभाले कैसे,
जल गये बाग कोई फूल निकाले कैसे
चीख दहशत से घुटी है कि "सुधा " नफरत
से '
पङ गये सोच पे ज़ेहन पे ये ताले कैसे
©®सुधा राजे।
जल गये बाग कोई फूल निकाले कैसे
चीख दहशत से घुटी है कि "सुधा " नफरत
से '
पङ गये सोच पे ज़ेहन पे ये ताले कैसे
©®सुधा राजे।
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