सुधा राजे की कविता :- ""कारोबार रुपैये का ""
Sudha Raje
दिल की बस्ती लूट रहा ये कारोबार रूपैये
का।
लोकतंत्र या साम्यवाद हो
है सरकार रुपैये का।
बहिना बेटी बुआ खटकती क्यों है
रुपिया लगता है।
भैया पैदा रो ले 'हँस मत साझीदार रूपैये का।
प्यार खरा बेबस रोता है
मेंहदी जली गरीबी की।
उधर अमीर ले गया डोली सच्चा प्यार
रुपैये का।
क्यों गरीब का प्रतिभाशाली बच्चा ओहदे पाये सखे!!!!
अलग अलग विद्यालय
किस्मत है ललकार रुपैये का ।
वचनपत्र पर लगी मुहर है अंक तालिका पहचानो।
काग़ज असली नकली चलता यूँ दमदार
रूपैये का।
रूपिया है तो ननदी खुश है ननदोई देवर
सासू
।
बीस लाख का तिलक पाँच का भात बज़ार रूपैये का।
कोई ना हो तेरा फिर
भी जलवे जलसे दम होँगे
।
इकला ही रैबैगा रहा जो मारा यार
रूपैये का।
रूपिया दे वो ही 'सपूत है रूपिया दे
वो बीबी है
।
रुपिया दे वो ही तो माँ है दिल
दिलदार रूपैये का।
न्याय मिलेगा उसे कङक
जो रुपिया देय वकीलों को ।
सुनवाई होगी गड्डी दे थानेदार रुपैये का।
रूपिया दे दरबान
मिला देगा मंत्री से चटपट सुन ।
रूपिया दे तो वोट
मिलेगा ज़लवेदार रुपैये का।
रूपिया हारा नहीँ हार गये
जोगी भोगी संन्यासी ।
मंदिर गिरिजे मस्जिद चढ़ता है दरबार रुपैये का।
रूपिया होता बाबूजी तो हम
भी संपादक होते ।
शतक किताबेँ छप
गयीँ होती बेफ़नकार रूपैये का।
रुपिया हो तो आवे
रुपिया बहुरुपिया रिश्ता है "सुधा" ।
ऐब हुनर हैँ हुनर ऐब हैँ
फ़न दरकार रुपैये का
©©सुधा राजे
पूर्णतः मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित रचना ।
संप्रति पता —
सुधा राजे
511/2
पीतांबरा आशीष
बङी हवेली
शेरकोट
बिजनौर
246747
उप्र
दिल की बस्ती लूट रहा ये कारोबार रूपैये
का।
लोकतंत्र या साम्यवाद हो
है सरकार रुपैये का।
बहिना बेटी बुआ खटकती क्यों है
रुपिया लगता है।
भैया पैदा रो ले 'हँस मत साझीदार रूपैये का।
प्यार खरा बेबस रोता है
मेंहदी जली गरीबी की।
उधर अमीर ले गया डोली सच्चा प्यार
रुपैये का।
क्यों गरीब का प्रतिभाशाली बच्चा ओहदे पाये सखे!!!!
अलग अलग विद्यालय
किस्मत है ललकार रुपैये का ।
वचनपत्र पर लगी मुहर है अंक तालिका पहचानो।
काग़ज असली नकली चलता यूँ दमदार
रूपैये का।
रूपिया है तो ननदी खुश है ननदोई देवर
सासू
।
बीस लाख का तिलक पाँच का भात बज़ार रूपैये का।
कोई ना हो तेरा फिर
भी जलवे जलसे दम होँगे
।
इकला ही रैबैगा रहा जो मारा यार
रूपैये का।
रूपिया दे वो ही 'सपूत है रूपिया दे
वो बीबी है
।
रुपिया दे वो ही तो माँ है दिल
दिलदार रूपैये का।
न्याय मिलेगा उसे कङक
जो रुपिया देय वकीलों को ।
सुनवाई होगी गड्डी दे थानेदार रुपैये का।
रूपिया दे दरबान
मिला देगा मंत्री से चटपट सुन ।
रूपिया दे तो वोट
मिलेगा ज़लवेदार रुपैये का।
रूपिया हारा नहीँ हार गये
जोगी भोगी संन्यासी ।
मंदिर गिरिजे मस्जिद चढ़ता है दरबार रुपैये का।
रूपिया होता बाबूजी तो हम
भी संपादक होते ।
शतक किताबेँ छप
गयीँ होती बेफ़नकार रूपैये का।
रुपिया हो तो आवे
रुपिया बहुरुपिया रिश्ता है "सुधा" ।
ऐब हुनर हैँ हुनर ऐब हैँ
फ़न दरकार रुपैये का
©©सुधा राजे
पूर्णतः मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित रचना ।
संप्रति पता —
सुधा राजे
511/2
पीतांबरा आशीष
बङी हवेली
शेरकोट
बिजनौर
246747
उप्र
Comments
Post a Comment