Tuesday 10 June 2014

सुधा राजे का लेख :-" नियमों की अवहेलना करते नौजवान।

कल कोई "कुमार पत्रकार न्यूज प्रेस
पर बङा चीख चीख कर आरोप
लगा रहा था ""इस देश की संसद मौन
है चौबीस
इजीनियरों का हत्यारा कौन है ।
उसने "राष्ट्रपति पर भी व्यंग्य
किया कि ""लिखे हुये भाषण पढ़ने के
बीच कोई कुछ नहीं बोला और चौबीस
छात्र डूबते रहे ""
साफ समझ में आ रहा था कि पत्रकार
सारा आरोप "भाजपा और
मोदी सरकार पर मढ़ रहा था ।
जबकि दूसरे चैनल देखने पर ये बात
सामने आयी की वे छह लङकियाँऔर
उन्नीस लङके ""गाँव वालों के रोकने
के बाद भी ""एडवेंचर की धुन में
नदी में उतरे
और साफ साफ दिख रहा है
कि शहरी आराम तलब युवक
युवतियों ने जरा भी गौर
नहीं किया कि नदी में बङे बङे गोल
पत्थर है जो ढुलकते है तलहटी में
भी बोल्डर और बङे पत्थर
दरकी चट्टाने है ।
ऐसी नदी में न तो तैरना संभव है न
नाव चलाना ।
चाय की दुकान से नीचे गहराई पर
उतरने पर भी गाँव वालों ने
रोका कि ""डैम का पानी छूटने
वाला है नीचे मत जाओ ""
फिर ""हूटर
""बजाया गया ऐसा कहना है डैम
कर्मचारियों का ।
जबकि आप और हम ये जानते हैं कि लङके
लङकियाँ नौजवान बालिग और स्वस्थ
युवक युवती थे कोई ""दूध पीते बच्चे
नहीं """
पानी में किलोलें
अठखेलियाँ फोटोग्राफी और पहाङ
नदी आग पानी जंगल सङक कार बाईक
पर ""लङकियों और दोस्तों पर
"बहादुरी गाँठने
"की खिलंदङी "ऐसी ही आयु
की जबरदस्त
भूलें होती है ।
फोटो में साफ दिख रहा है कि लङके
लङकियाँ बढ़ते पानी को भी मजाक में
लेते रहे और रिस्क उठाते रहे कि बस
अभी कूद कर बाहर आ जायेगे ।
ये रिस्क आप कहीं भी देखे ।
सङक पर मोबाईल के गीत सुनते और
ईयर प्लग लगाकर बतियाते
बिना हैलमेट के जुल्फे लहराते स्टंट
करते लङके ।लङकियाँ पीठ पर
चिपकी हुयी ।
कॉलेज में मुँडेर पर चढ़ते ।
नगर में टावर पर चढ़ते बसंती के
आशिक ।
क्या डैम
कर्मचारियों की नौकरी पीकर उनके
परिवार को भूखा मारकर उस भूल पर
परदा डाला जाना सही है?
कि आज के लङके लङकियाँ न
तो चेतावनी मानते सुनते है ।
न ही बङे के टोकने पर कोई ध्यान
रखते है ।
न ही चौकन्ने चुस्त दुरुस्त और संकट से
निबटने में सक्षम!!!!!
गजब तो है कि "सैनिक की आयु सोलह
से पच्चीस और वह जान
की बाजी लगाकर युवको को बचाये
',जबकि उसके हम उम्र और बङे युवक
मस्ती मौज के सिवा न तैर सकने में
निपुण न कोई ""आपदा से निपटने में
""
स्विमिंग पूल के ""बाबा बेबियो,,
हिमालय और
यहाँ की नदिया आराधना की शक्तियाँ है

मौज मस्ती से पहले याद रखें
कि यहाँ पहाङ है
किसी भी सूखी जमीन पर भी अचानक
पानी । भू स्खलन । बादल
फटना बरऱबारी । बाढ भूकंप
हो सकता है ।
कुदरत का सम्मान करो दर्शन
करो उसे चुनौती मत दे ।
हमें दुख है किंतु महसूस करें
कि गलती किसकी है,
नदी के हजारो मील दूर तक
भी कहाँ कहाँ सरकार जाल बिछाये??
लोग स्वयं क्यों नहीं कुदरत के नियम
मानते,,,
ये हर समय शोर करते और मोबाईल
पर गीत सुनते चीख कर बतियाते लङके
""किसी की सुनते कब हैं """
और कब तक ""ये निहित विरोध के
लिये विरोध ""
पत्रकार चीख रहा था ""जब लङके
डूब रहे थे सांसद मेजे थपथपा रहे थे!!!
क्या खबर है?
तब न जाने कितने लोग जल रहे थे न
जाने कितने कब्र में उतारे जा रहे थे न
जाने कितनी लङकियाँ मार
खा रही थी? जबकि वे ""न शोर में
चेतावनी अनसुनी रही थीं न
ही जानबूझकर ढुलकते पत्थरों पर चढ़
रही और रिस्क ले कर अपने आप
को नदी के हवाले कर रही थी
ऐसे लोगो के लिये "पत्रकार शब्द, कुछ
ज्यादा नहीं हो गया?
समाचार निष्पक्ष होना चाहिये और
पत्रकार को न्यायधीश
की भाषा नहीं बोलनी चाहिये ।
दोषी कौन ये तय पत्रकार नहीं कर
सकते ।
अभिनति पेशे से गद्दारी है ।
माना कि अब तक हर जगह विकास
नहीं हुआ है ।
लेकिन ग्रामीण रोज कहीं न
कहीं हादसे के शिकार होते है तब ये
पत्रकार कहाँ चले जाते है ।
क्या ग्रामीणो की मौत की कोई
कीमत नहीं?
और हाँ सङक पर जब ईयर प्लग
लगाकर स्टंट और रेस लगाते
बिना हैलमेट वाले ""बच्चे ""कब
दिखायेगे??
क्यों नहीं स्कूलों में आपदा स् निपटने
के लिये इंटर तक अनिवार्य एन
सी सी कर दी जाये???
लङको को लङकियों को ""नियम
पालन भी सिखाओ और खुद
की रक्षा करना भी ।
देश की नादान प्रतिभाओ ।
काश कोई सबक ले पानी आग जंगल से
मत खेलो ।
उत्तराखंड बाढ़ के समय भी देखा कि तीस
साल के जवान को ""पच्चीस साल
का सैनिक पीठ पर लाद कर ला रहा है!!!!
वे बच्चे नहीं थे "उनको पता था कि वे
ऊँची पहाङी से नीचे खड्ड में बहती खंड
खंड चट्टानों से अँटी पङी नदी में उतर
रहे हैं ""बाँध
का पानी नहीं आता तो भी खतरा था ही """पत्थर
खिसकते हमने खुद देखे हैं हिमालय के
""अरररररर के साथ
कहीं भी कभी भी """""वह रेत
की नदी नगरिणी वहीं """"व्यास है
""""जहाँ ग्रामीण तक नहीं तैर पाते
आसानी से """"
आज की पीढ़ी की मानसिकता बन ही बन गयी है सिगनल तोङना 'अगर पार्क में
लिखा है फूल न तोङें तब तो जरूर ही तोङना है ।
अनुशासन कैसे सिखायें ये चुनौती है।
©®

--
Sudha Raje
Address- 511/2, Peetambara Aasheesh
Fatehnagar
Sherkot-246747
Bijnor
U.P.
Email- sudha.raje7@gmail.com
Mobile- 9358874117

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