सुधा राजे का लेख - चिकित्सकीय वैज्ञानिक भाषा में हो बाल यौन शिक्षा ।

व्यक्तिगत तौर पर हम भी यही मानते है कि ""कक्षा में यौन शिक्षा भारतीय
सामाजिक पारिवारिक ताने बाने को देखते हुये केवल बच्चों को बर्बादी की ओर
ही धकेलने वाली है क्योंकि ★घर से बाहर तक हर तरफ अब इतनी अश्लीलता परोसी
जा रही है कि बच्चे जो कभी स्कूल नहीं गये वे सबसे ज्यादा यौन विष्यों पर
बातचीत करते है और उनके खेल कूद में भी कई बार यौन विष्यों पर केंद्रित
हो जाते हैं "
टीवी रेडियो इंटरनेट पर सचित्र सामग्री चलचित्र सहित अब इफरात में हर
वक्त मौजूद है और पाँचवी कक्षा पार करते करते बच्चों को मोबाईल चलाना और
दसवीं तक आते आते लैपटॉप चलाना अकसर आने लगा है ।
घरों में प्रसव शादियाँ और दूल्हे दुल्हनों के पलंगचार कमरे सजाना आदि तो
है ही सबसे बढ़िया शिक्षा तो """"बाप भाई दादा नाना काका चाचा मामा मौसा
जीजा फूफा देते आ रहे हैं """

तेरी माँ का #*#$%&**‡
तेरी बहिन का, ‰::5:

अकसर नन्हें बच्चे सबसे पहले ""गाली का मतलब ही पूछते हैं फिर पूछते है
"""नन्हा भाई बह्न या भतीजा भांजा कैसे आया कहाँ से आया,,,,,,, वे दिन
गये जब माँयें कह देती थी अस्पताल से खरीदा है या भगवान जी ने बनाकर पेट
में रख दिया और पेट काटकर नर्सों ने निकाल दिया,,, आज के बच्चों के सामने
"""टीवी है ""नेट है और हर तरफ पार्क होटल मंच मुशायरे कविगोष्ठी पार्टी
जयमाला पर ""नशे में धुत्त गीतों की बरसात पर बिजली का झटका दार डांस
करते भाई चाचा पापा और रिश्तेदार हैं ।
फिर टेबल पर रोज अखबार है न!!!!! हर रोज कहीं न कहीं कुकर्म बलात्कार और
लङकी लङकों के ऑनर किलिंग के समाचार ।

हॉलीवुड और वॉलीवुड की फिल्में तो हैं ही अब तो लगभग हर ""कार्टून
कैरेक्टर की गर्ल फ्रैंड बॉयफ्रैंड हैं चाहे ""डोरेईमॉन हो चाहे हैरी
पॉटर या पोपाय द सेलरमेन या मिकी माऊस या फिर टॉम एंड जेरी """"""सबमें
प्रेमिका पटाना और गर्ल फ्रैंड रखना जरूरी है """"अभी बाकी है """कमीने
नाते रिश्तेदार जो बच्चों को जगह बे जगह छू कर नोंचकर और टॉफी चॉकलेट
मिठाई पैसा मेला देकर यौन शोषण करने की फिराक में रहते है ।
फिर सीनियर सहपाठी भी तो हैं जो उन पर बीती वही बताने को ।

"""""""इसी पर कोई अंजान ग्रह का प्राणी अगर धरती पर आ जाये तो??

कहेगा कि हर तरफ यौन शिक्षा यौन विचार यौनोत्तेजक गीत कहानियाँ और मसाला
बिखरा पङा है फिर भी ""ग़जब हैं भारतीय यौन विषय को बातचीत से वर्जित
रखने का दावा करते हैं?


होता क्या है,, जब एक सांगरूपक प्रेम गीत तक का अर्थ बताते समय "पूजनीय
गुरुजी भावनाओं में बहकर ""खिला हो ज्यों बिजली का फूल मेघ वन बीच गुलाबी
रंग ""को समझाते समझाते ""कामदेव के तीर से पीङित होने लगते हैं तब '

अबोध बच्चों का क्या कहें?
वे सबसे पहले आपस में बातें करते हैं और यौन विषय पर वार्तालाप सहपाठियों
का सबसे प्रिय विष्य होने लगता है फिर दैहिक उत्सुकतायें सबकुछ,,
प्रैक्टिकल कर लेने को आतुर करतीं हैं और नतीज़ा आता है और जानकारी की
इच्छा फिर नेट छाने जाते और पोर्न फिल्मों से यौनविकृत "दृश्य दिमाग दिल
दैहिक संयम को विवेकरहित कर डालते हैं ।


सच तो यही है कि ।

अश्लीलता पर हर तरह से रोक लगाने के साथ साथ ""स्कूल के क्लास रूम में
यौन शिक्षा देने की बजाय "एक अप्रत्यक्ष तरीका चाहिये एक स्वस्थ पाठ्य
पुस्तक और डॉक्टर की नजर से लिखी गयी भाषा चिकित्सकीय जीव वैज्ञानिक ढंग
से दिये गये पपेट डेमो और अस्पाल का सा वातावरण जो ""एक पिता और माता
अपने बच्चों को हाथ में देकर उनके हर सवाल का जवाब दे सके और साथ ही
जिसमें ""नैतिक सामाजिक नियम संयम के पाठ भी शामिल हों,,,
ये कार्य शिक्षक का नहीं चिकित्सक और वैज्ञानिक का है । इसके लिये भारतीय
परिवेश के मुताबिक ढलना होगा ।

लङकियों को एक अलग क्लास में स्त्री डॉक्टर और लङकों को एक अलग क्लास में
पुरुष डॉक्टर ये "सब सवाल जवाब का विज्ञान और मनोविज्ञान की दृष्टि से
पाठ्यक्रम से पृथक पढ़ाई करा सकते हैं ।

समाज को ""अब जरूरत है तकनीकी नजर से नयी पीढ़ी को चौकन्ना किंतु मैतिक
मनोवैज्ञानिक नजरिये से मजबूत बनाने की ।

आम बीएड एमएड शिक्षक इस तरह नहीं समझा सकते इससे केवल ''अति उत्सुकता से
स्कूलों में चरित्र विचलन बढ़ेगा ।
एक किताब और एक पपेट वीडियो से डॉक्टर की वैज्ञानिक बोली में सारे सवालों
का जवाब ज्ञान विज्ञान की नजर से पढ़ाने में कोई एतराज किसी को नहीं होगा
। क्योंकि अबोध बच्चों पर हैवानों की नजर रहने लगी है उनको सिखाना है देह
के अर्थ और समाज के संस्कार भी ।
©®सुधा राजे
क्रमशः"""""""

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Sudha Raje
Address- 511/2, Peetambara Aasheesh
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Sherkot-246747
Bijnor
U.P.
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