सुन मेरे देश ::सींग पूँछ नख दंत बिना पशु (लेख) - सुधा राजे
सुन मेरे देश ::सींग पूँछ नख दंत बिना पशु (लेख)
<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<सुधा राजे
सभ्यता और संस्कृति मानव के सुंदर और सहज होते चले जाने की लालसा का विस्तार है ।यंत्र भवन वस्त्र मुद्रा प्रबंध और प्रशासन इन सबके साथ बहुत उन्नत होने के उपरान्त भी हमारा समाज एक छोर पर मानव पशुओं से भरा पड़ा है ।ये वही पशु हैं जो कहीं से निकलती बालिका को देखकर कोहनी मार देते हैं चिकोटी काटते हैं या शरीर घिसकर भीड़ में स्वयं को मर्द समझ लेते हैं ।ये पशु वही हैं जो कहीं भी एकांत देखते ही स्वच्छ स्थान पर भी पिच्च से गुटखा थूक देते हैं ।पान की पीक मार देते हैं ।या मूत देते हैं ।ये पशु आपके आसपास कहीं भी हो सकते हैं किसी का विचार चुराते हुये, किसी की निजी बातों को कोंच-कोंचकर पूछ लेने के बाद ,बाहर भीतर अन्य लोगों के बीच चटकारे ले लेकर सुनाते हुये । ये सभ्य सुसंस्कृत समझे जाने वाले मानवपशु स्त्री भी है पुरुष भी जब पहचानना हो तो इनको पहचाने इनके मुख से गालियां माता बहिन बेटी और पशु यौनांगों के विस्तृत विवरण के साथ झरतीं रहतीं है स्वमेव ही ।इनको पता तक नहीं चलता कब ये स्वयं को ही गरिया गये । देश इनके लिये गरियाने की शै है और राजनीति की बहुत गहरी जानकारी न होने पर भी दिन भर राजनीति को गरियाते मिलेंगे । पोशाक भले ही कैसी भी हो स्वयं की, किंतु जमाने भर के फैशन को गरियाना इनका प्रथम कर्त्तव्य है ।इनमें से एक बहुत दुर्लभ श्रेणी उनकी है जो रेलगाड़ियों बस अड्डों स्टेशनों और किसी भी स्थान के सार्वजनिक शौचालयों में रूचिपूर्वक गंदी से गंदी भाषा में स्त्री पुरुष यौन संबंधों और अंगों के बारे में अपना ज्ञान, साक्षर भारत का प्रमाण बनाकर लिखते रहते हैं यत्न पूर्वक । कुछ कम खूँख्वार मानव पशु ऐतिहासिक इमारतों पुलों रुपयों ट्रकों टैक्सियों और बसों आदि पर अपनी पसंदीदा लड़की के प्रति प्रेम निवेदन करते अपना नाम उससे जोड़कर लिखते "ज़ू ए शीर "निकालने जैसा करतब कर गुजरते हैं ।इनसे बचें तो एक और श्रेणी है जिनको जाँघों के बीच हर बार बार बार खुजली केवल तब ही आती है जब सामने कोई लड़की होती है जो इनकी तरफ धोखे से भी चाहे देख रही होती है । इनके ही बिरादर नस्ल वे हैं जो किसी आती जाती स्त्री को देखकर ही मूत पाते हैं वह भी गाना गा गा कर या चिल्लाकर बतियाते हुये ।इसके अलावा जो सबसे हिंसक और तत्काल जड़मूल समेत समाप्त करने लायक नस्ल है वह है किसी नन्हीं बच्ची को देखकर अंकल बनकर जबरन दुलार के बहाने चिपकाने और उसे अश्लील मन से छूने सहलाने वाली नस्ल । मानव शक्ल में कुछ और हिंस्र पशु हैं जो झुंड बनाकर रात दिन स्त्री का ही चिंतन करते रहते हैं और अवसर बनाकर या पाते ही आक्रमण करके उसे तहस नहस कर डालते हैं ।बलात्कारी और हत्यारे इसी नस्ल के जानवर हैं । कुछ नवप्रचलित नस्लें हैं जो स्त्रियों को फोन करके अश्लील बातें करने डराने और उनके फोटो वीडियो लेकर सार्वजनिक करने के नाम पर भयादोहन करते हैं । सबसे निकृष्ट मानवपशु वे हैं जो बालअपहरण कुकर्म स्त्रीविक्रय और क्रय में लिप्त रहकर धन कमाते हैं।
©®सुधा राजे
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