सुधा खून में ज़हर बो रहा लालसलामी सोच ।

चंबल जंगल सहरा बागी ।
हिमशेखर कश्मीर ।
पंचनदी सतभगिनी बागी सुधा विन्ध्य
की पीर।
©सुधा राजे
कच्छ कछार दुआबों चलती बारूदी बरसात

धधक रही सूखी अरावली ।
नीलगिरी रव रात ।
सुधा धुँधाता भद्रदेश है बहका मध्यप्रदेश

खादर बाँगर भाभर जूझे ।
किधर शांतिमय देश????
नेताओं के राजभवन में ऐयाशी के ठाठ ।
गाँव जहाँ पग धरे नही अब तक वो देखें
बाट
थप्पङ जूता गाली लाठी बम बारूद
विचार ।
मोटी चमङी अब तो चेतो शत्रु
रहा ललकार ।
मंदबुद्धि तो नहीं कि ना जानो क्या हैँ
व्यापार???
भूखों के घर कौन भेजता
आयातित हथियार ।
सुधा खून में ज़हर बो रहा लाल
सलामी सोच ।
नेता और प्रशासक डूबा लेने में उत्कोच
©®¶©©सुधा राज

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