जंगली हैं हम

धरती का ऋण ,कुछ तो हों उऋण 
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सुधा राजे ,
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वर्षोत्सव व्यर्थ न जाये आओ फलदार वृक्ष लगायें 
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आज का वृक्ष 
बेल 
विल्व 
विल्वम् 
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यह एक इकलौता ही वृक्ष है जो अति प्राचीन कालीन वृक्ष होकर भी अपनी प्रजाति का एक ही रूप है । हालांकि "कैंथ"और जमालघोंटा"भी लगभग ऐसे ही फल होते हैं परंतु उन पर बाद में चर्चा करेंगे ।बेल का हर अंग एक औषधि होने से इसे पूजन और शिवाराधन में अनिवार्माना गया है । कहते हैं कि बेलवृक्ष घर के उत्तर पश्चिम में लगाने से यश और दक्षिण पश्चिम में लगाने से लक्ष्मी बढ़ती है । विल्व का गूदा हवन में करने से भी श्री और शिव को प्रसन्न किया जाता है । त्रिपत्री के एक सौ आठ या एक हजार आठ पत्र शिव पर चढ़ाने का भी विशेष महत्तव है ।सावन में तो और भी अधिक क्योंकि शिव के होते हैं ये चतुर्मास । बेल के आसपास सर्प नहीं आते ऐसा मानते हैं जबकि रातरानी पर आते हैं ।बेल का फल सेब और नाशपाती से बड़ा कड़क शल्क में होता है जिसे तोड़ने पर भीतर गूदा पीले भूरे नारंगी रंग का मिलता है उसे पकने पर शरबत ठंडई मुरब्बा टाॅफी जूस शेक और जैली जैम आदि के रूप में प्रयोग किया जाता है । गर्भवती स्त्री और पेट के हर प्रकार के रोगी के लिये बेल का शरबत मुरब्बा और हलवा सब ही लाभदायक पौष्टिक और पाचन शक्ति वर्दधक होते हैं जलन एसिडिटी अपच अफारा कब्ज और दस्त सब पर बेल का असर बहुत शीघ्र लाभ कारक होता है । यह इन्स्टेन्ट एनर्जिक पेय भी है जो थकान और कमजोरी दूर करता है । लू लगने तथा सिरदर्द आदि में भी बेल का शरबत राहतकारक है । बेल का वृक्ष बहुत कम देखभाल में ही पनप जाता है ।बीज या पौध से लगाया जा सकता है । नर्सरी पर भी प्राप्त कर सकते हैं । बेल को वर्षा में रोप दें और बस एक दो वर्ष से चार वर्ष तक में यह फल देने लगता है । राय बेल आकार में बहुत बड़े और बहुत मीठे होते है जबकि सादे बेल भी बहुत गुणकारी होते हैं । बेल में प्रोटीन फाईबल और शरीर को त्वचा के घाव भरने वाले मिनरल देने लायक तत्व होते हैं । यह पूर्णतः भारतीय फल है कांटे तो होते हैं परंतु काट छांटकर भी यह बहुत शीघ्र ही घना हो जाता है छाया बहुत घनी होती है कद पांच से पैंतीस फीट तक हो सकता है । आप बड़े से गमले में भी लगा सकते हैं बस समय समय पर बेकार टहनियां काटते रहें । बच्चों शिशुओं को बेल बहुत ही शक्ति देने वाला निरापद फल है । आयुर्वेद के अनुसार इसमें देह भीतर के समस्त विष हरने की अद्भुत शक्ति होती है ।तो आईये जहां जहां जगह मिले हम बेलफल का वृक्ष लगाकर सावन मनाये कहते हैं शवयात्रा के समय यदि बेलवृक्ष की छाया के नीचे से अर्थी निकल जाये तो उस व्यक्ति के पाप क्षमा होकर मोक्ष मिल जाता है । ऐसा तभी तो हो सकता है जब डिवाईडर पर सड़क किनारे  नदी मन्दिर श्मशान मुहल्ले के हर संस्थान और घर तथा बाहर की जगहों पर बेल का पेड़ को । लोग शिव को पत्तियां चढ़ाकर प्रसन्न करते हैं आईयेे हम इस बार एक सौ आठ बेल वृक्ष लगाकर महाकाल महाप्रकृति की आराधना करे ।
©®सुधा राजे 

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अपना प्रकृति ऋण अ्दा करें .....सादर निवेदन

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