स्मृतियों के अनहदनाद
कभी कभी बुरे दिन याद करना भी भला लगता है ',जब जवाब देने को रहता है ""उन सबको जब हाथ को हाथ नहीं दिखा तो पहला ''''चूहा कौन था जहाज पर से कूदने वाला ''
बचाने वाला तो तखते के फट्टे पर भी तैराकर किनारे लगा ही देता है ',
किंतु फिर '??यूँ ही आज यादों के वनवास में
©®सुधा राजे
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