Friday 11 January 2019

कविता, भेड़िये वाली आँखें

वो एक लङकी थी
खास लङकी

सुंदर और
तेज दिमाग लड़की

जिसके पास
एक अपनी ही नजर थी
हर चीज को देखने की

माँ के श्रद्धा
पिता के लिये सेवा
भाईयों  के लिये दुआयें

मेरे पास जब भी
आती
ढेर सारे सपने भर लाती

कभी टीचर कभी नर्स
कभी नन बनने की बाते करती
लेकिन

एक दिन उसका सिर
झुका हुआ था
पता चला उसकी

सहेली ने कुछ
ऐसा बताया
जो भयानक था

वो पापा जिसके
लिये वो सारी दुनिया से
जूझ जाती

वो पापा
जिसका सहारा प्यारा
बेटा बनना
चाहती

ये बात
सहेली ने
बरसों बाद बतायी
तब जब
वो पापा की
तारीफें कर रही थी

बच्ची प्यारी बच्ची
कहता पापा का
चेहरा उसे
खूनी भेङिये
सा लगा

और
उसने उस फिजूल
बेमेल
रिश्ते के लिये
हाँ कह दी

बहुत
बिलख कर
रोयी
मेरे सामने पढा
कुछ नही उस दिन
जैसे कोई मर गया
हो

उसकी
विदाई पर
रोते उसके पापा
को घृणा से देखा
और

बिना मिले
आगे बढ़ गयी माँ
का दिल  फट गया

लेकिन
उसकी आँखों में
उस रोज  आँसू नही
थे उसके सपने
जल गये थे

और उस आँच को
मैंने महसूस किया
जब वो
मेरे गले लगकर
भर्रा पङी

मेम मेम मेम
सब समझ रहे थे
गुरू शिष्या में जादा
प्यार है
©®SUDHARaje

No comments:

Post a Comment