Saturday 31 May 2014

सुधा राजे का लेख :- कितने हैवान """""

आज जो वातावरण बना हुआ है उस
वातावरण में बलात्कारियों दंड
तो देना है ही अति आवश्यक और
तत्काल भी । साथ ही आवश्यक है
कि वे सब कारण दूर किये जायें जिनके
होने से "स्त्रियों पर आक्रमण होते हैं

1*"मानसिक "
भारत में जिस तेजी से सूचना संचार
का विस्तार हुआ है उसी तेजी से
अश्लीलता और ब्लू फिल्मों पोर्न
बेबसाईटों गंदी अश्लील
किताबों फिल्मों टीवी सीरियलोंअश्लील
पोस्टरों और चित्रों का आक्रमण
भी गाँव गाँव नगर नगर घर घर स्कूल
कॉलेज आश्रम अस्पताल सब जगह पहुंच
रहा है ।
ये सब देख सुनकर पढ़कर """दैहिक
वासना भङकती है ''''लोग बुरी तरह
इसी हवस और उत्तेजना से भरे जब
होते है तो सेक्स की प्रबल
इच्छा विवश करती है """ऐसे
मानसिक हालात में विवेक खत्म
हो जाता है और अश्लील किताब
पढ़कर फिल्म देखकर या विज्ञापन
टीवी सीरियल नाच गाना देखकर
""दैहिक वासना की आग में
जलता असंयमी पुरुष """आसपास कोई
भी स्त्री देखकर तत्काल उसे
ही पाकर भूख बुझा लेना चाहता है ।
ये भूख जब बुझाने
को स्त्री नहीं मिलती तो आसान
शिकार """छोटे और किशोर बच्चे
मिलते हैं या कमजोर लङके
""बलात्कार या कुकर्म ""जैसे अपराध
इसी मनोदशा में होते हैं
घरेलू स्त्रियों का घर के नाते
रिश्तेदारों द्वारा किये गये
बलात्कार कुकर्म और बहला फुसलाकर
दुष्कर्म के कारण """सबसे पहले
""मानसिक हालात """बेकाबू और
भङकी हुयी वासना की आग है ।
जिसकी वजह है """हर तरह हर समय
हर किसी के पास
बरसती """अश्लीलता सेक्स और पोर्न
सामग्री """

""पर विरोध प्रकट वे नहीं कर
सकतीं जो घर में शराबी पति पिता ससुर
जेठ भाई """"""से लात जूते खातीं हैं
""""""""महानगरों की चंद
अभिनेत्रियाँ पूरा समाज
नहीं हो सकतीं """"""""और गाव कसबे
शहर """की लङकियाँ """""कहीं भी आज
भी इतनी आजाद नहीं हैं
कि """""""माँ बाप भाई को पति ससुर
को पता न चले """"""और सिनेमा देखने
चलीं जायें """"""ना ही सलवार कमीज
या जींस शर्ट कोई अश्लील कपङे हैं
"""""साङी से अधिक परदा देते है
"""""टीवी शो में जो लङकियाँ है वे
"""सवा करोङ हिंदुस्तान की दस
प्रतिशत भी नहीं """""और
उनको खतरा भी नहीं

जो लङकियाँ अश्लील कपङे पहनती है वे
आम गली मुहल्लों गाँव नगर में
नहीं रहती """""""और
ऐसा तो क्या कि दो साल
की बच्ची भी अश्लील?????
अस्सी की दादी भी अश्लील?????
पापी तो पुरुष की आँखें हैं """"औरत
का बदन तो जैसा है सो है ही """""दिखे
या ढँका हो """"""रेप का हक किसे
है??????? यूरोप में समन्जर किनारे एक
फीट कपङे में ढँकी तमाम
लङकियाँ मिलती है """""""लेकिन
वहाँ """सबसे कम रेप होते है """"और सबसे
कम घरेलू हिंसा """""भारतीय पुरुष है
ही क्रूर अधिक मामलों में परंपरा बन
चुकी है """घरेलू हिंसा और
लङकों को पूरी आजादी।
किसी की बहू घर पर अकेली है
कि पति कहीं काम से गया और ससुर जेठ
या किसी पङौसी की हवस
का शिकार!!!!!!

किसी की दादी गंगास्नान पर जाती है
और """रेप कर दी जाती है ""

किसी लङकी को ट्यूशन जाना है आते जाते
"""पान की दुकान चाय के ढाबे पर
गिरोह बनाकर लङके कंकङ मारते है
गालियाँ देते है गंदे इशारे करते है कपङे
साईकिल किताबे खींच देते है
""""""बूढ़ा बाप या जवान भाई बचावे
को जाता तो """"""जान से मार
डाला जाता है?????? और जब लोग
विरोध करे तो दंगा????
औरत बीमार है अस्पताल में भरती है और
बार्ड बॉय डॉक्टर स्टाफ की शिकार
हो जाती है???

जींस से अधिक सुरक्षित कपङा क्या है???
मजबूत बेल्ट और दौङ भाग में सरल
"""""अकसर रेप """साङी और परदे वाले
कपङों दुपट्टों वालियों के भी हो जाते हैं
"""""बदन है तो क्या """"टीन
या टंकी पहन कर ढँका जायेगा????

लङके कच्छा दिखाते कपङे पहनते है वह
अश्लीलता नहीं है?????

लङके ""कहीं भी पेशाब करने खङे हो जाते
हैं यह अश्लीलता नहीं है????

लङके कहीं भी """"किसी भी आयु की औरत
लङकी बच्ची को """जबरन छूने नौंचने
घिसकर निकलने """"घूरने """बकने
"""की हरकते करते हैं """"यह सब अश्लील
नहीं है????

टिकिट देते समय कंडक्टर
लङकियों को जबरन छूता है """""चैकअप के
समय डॉक्टर पर शैतान सवार """"ऑटो में
ड्राईवर जानबूझ कर शीशे से
लङकियाँ घूरता है
"""""इनकी फैमिली हो तो न
हो तो """पराई स्त्री के प्रति ये हरकतें
क्या है??????? गंदी नाली के
कीङों की नसल????

लङकी दिखी """कि जानबूझकर
"""जाँघों के जोङ खुजाने लगना!!!!!!!!!
बदतमीजी की हद है!!!!!!! क्या हर
स्त्री ऐसे पागल कीङे
मकौङों जानवरो के लिये """"""बिछने
को तैयार होकर घर से
निकलती है????????

जानबूझकर ""औरतों के सामने गंदी अश्लीश
गालियाँ दोस्तों को देना?????? ऐसे सब
पुरुष """एक ही नसल के कीङे है
"""वासना में पागल नखदंत वाले वे
जानवर जिनको ""हाईड्रोफोबिया
हो जाये तो गोली मार
दी जाती है??????? ऐसे पागल
हवसी """"हर जगह है दफतर घर गली बस
ट्रेन बाजार मंदिर अस्पताल

कैसे ढँके औरत अपना बदन????????? लोहे के
गोल डिब्बे पर ताला लगाकर बाप को दे
दे?????? क्या लाख पर
दो ही सही """"बाप कजिन
चाचा मौसा फूफा ताऊ
बाबा नाना """तक रेपिस्ट नही??????
उस समय क्या अश्लीलता????

कॉलेज के लङके """हर क्लासमेट ""का कम
मजाक बनाते होगे
जितना """""उम्रदराज कवि लेखक
पत्रकार वकील पुलिस
नेता """अपनी कलीग महिलाओं के
"""""पहनने ओढ़ने पर टोंट """करते हैं

कविता में """""हास्य """"के नाम पर
सबसे अधिक मजाक औरत का ही उङाते है
"""""सङे दिमाग के कलमची

अगर औरत """अपनी मरजी से अपना बदन
किसी को सौंप दे और सुख महसूस करे
तो????????? बदचलन छिनाल
कुलटा?????? बाप भाई की नाक
कटती है???????

पुलिस तो रक्षा के लिये होती है न??????
किस स्त्री में हिम्मत है जो रात बिरात
"""""किसी दरिंदे से बचने के लिये
""""कोतवाली थाने की शरण ले ले??????
सबसे बङा शराबी महकमा ''''''

मंत्री जी?????? संविधान कानून धर्म से
तो """"शासक हर
स्त्री का सिवा अपनी बीबी के
"""""पिता पुत्र भाई रक्षक है???????
फिर ये होटलों में कौन पकङे जाते हैं???
कौन कौन परायी लङकियों को खरीदते
हैं??? मजबूर करते हैं """""वहाँ कौन
सी अश्लीलता करने जाती है
लङकियाँ????धर्मगुरू?????

ये कहाँ से आती है
लङकियाँ वेश्यालयों में???????? कम उमर
की नाबालिग वेश्या ही सब से पहले
माँगी जाती है!!!!!!!!!! किसकी औलादें हैं
वेश्याओं की गोदी में??????? कौन हैं
जो अपनी संताने होश आने से पहले बेचकर
चले आते हैं कोठों पर रेप होवे के लिये
""""????या वे चुराकर बेची जाती है
अत्याचार से तोङी जाती है???

क्यों """"पागल
हवसी वहशी कुत्तों की तरह """"""समाज
का अधिकांश पुरुष वर्ग
""""""लङकियों और बच्चों के देह
को भँभोङने के पीछे पङा है?????
©®सुधा राजे
511/2, Peetambara Aasheesh
Fatehnagar
Sherkot-246747
Bijnor
U.P.
7669489600
sudha.raje7@gmail.com
यह रचना पूर्णतः मौलिक और अप्रकाशित है।

No comments:

Post a Comment