गीत :- एक जनीं सें बस्ती नात सुहानी ।
Sudha Raje
अम्माँ मर गयीँ जब सेँ
बापू रै गये निपट अकेले ।
डिङक हिलक के कै रये
बिन्नू!!!!को जौ जीबौ झेलै
बिन्नू को जौ जीबौ झेले!!!!
1-जौँ लौँ अम्माँ जियत रहीँ बाबूजी की चलती रयी ।
डाँट पङी अम्मईँ पै चाँयेँ
कोऊ करी गलती रयी ।
अब कै रये पछता कैँ
हमखौँ काय न भेजौ पैलै
बिन्नू को जौ जीबौ झेले ।
2-अम्माँ डाँठेँ रयीँ थुमियाँ सीँ
ठाट बङेरे घर के ।
इत्ती तनक कमाई , 'जोरी
मुलक गिरस्थी मरकें
बाबूजी तब पी पी दारू
खूबई रुतबा खेलेँ
बिन्नू को जौ जीबो झेले ।
3-लरका बऊ ने
कब्जा लओ अब मड़ा
""पौर में बैठेँ ।
अम्माँ खौँ गरिय़ाऊत्ते
बैई " बऊ की सुन सुन ऐंठे ।
नातिन कै रयी टोकत कित्तौ
डुकरा "कितै पहेलेँ ।
बिन्नू को जौ जीबन झेले
4-"सुधा "आयीँ बिटियाँ सो हिलके
जे-ई लगत तीँ खोटीँ ।
बेई सुना गयीं भज्जा खोँ
""कये दै रओ सूकी रोटी???
बिटियन के डर सेँ भौजैयाँ
पथरा मुडीँ ढकेलें
बिन्नू
को जौ जीबौ झेलेँ
5-अम्माँ हतीँ दबाउत गोङे
मूँङ पै चिकनई धरतीं
नग- नग दुख रये
गोली खा रये ।
नतबऊ ढूँक पबरतीँ।
सबखौँ भाबई लगे पैन्शन
मिल रय़ी जाये सकेलेँ
बिन्नू को जौ जीबौ झेले ।
6-अम्माँ हतीँ मिलत तीँ चुपरी ।
बई पै टाठी फेँकी ।
कौनऊ परी विपत् अम्मईँ ने
झखरा बन बन छेँकी।
जई सेँ ""सुधा"" जोर कर कै रयीँ ।
घरवारी सँग रै ले
बिन्नू को जो जीबौ झेले?
7-ज्वानी परैँ उरद गर्रानी
ज्वार मका मरदानी ।
परैँ बुढ़ापौ एक जनीं सें
बस्ती नात सुहानी ।
कर लो कदर घरैतिन की बौ
टेक टौरिया ठेले ।
बिन्नू को जौ जीबौ झेले
??? ©®¶©®¶
Sudha Raje
(बुंदेली बोली में एक सत्य चित्रगीत)
अम्माँ मर गयीँ जब सेँ
बापू रै गये निपट अकेले ।
डिङक हिलक के कै रये
बिन्नू!!!!को जौ जीबौ झेलै
बिन्नू को जौ जीबौ झेले!!!!
1-जौँ लौँ अम्माँ जियत रहीँ बाबूजी की चलती रयी ।
डाँट पङी अम्मईँ पै चाँयेँ
कोऊ करी गलती रयी ।
अब कै रये पछता कैँ
हमखौँ काय न भेजौ पैलै
बिन्नू को जौ जीबौ झेले ।
2-अम्माँ डाँठेँ रयीँ थुमियाँ सीँ
ठाट बङेरे घर के ।
इत्ती तनक कमाई , 'जोरी
मुलक गिरस्थी मरकें
बाबूजी तब पी पी दारू
खूबई रुतबा खेलेँ
बिन्नू को जौ जीबो झेले ।
3-लरका बऊ ने
कब्जा लओ अब मड़ा
""पौर में बैठेँ ।
अम्माँ खौँ गरिय़ाऊत्ते
बैई " बऊ की सुन सुन ऐंठे ।
नातिन कै रयी टोकत कित्तौ
डुकरा "कितै पहेलेँ ।
बिन्नू को जौ जीबन झेले
4-"सुधा "आयीँ बिटियाँ सो हिलके
जे-ई लगत तीँ खोटीँ ।
बेई सुना गयीं भज्जा खोँ
""कये दै रओ सूकी रोटी???
बिटियन के डर सेँ भौजैयाँ
पथरा मुडीँ ढकेलें
बिन्नू
को जौ जीबौ झेलेँ
5-अम्माँ हतीँ दबाउत गोङे
मूँङ पै चिकनई धरतीं
नग- नग दुख रये
गोली खा रये ।
नतबऊ ढूँक पबरतीँ।
सबखौँ भाबई लगे पैन्शन
मिल रय़ी जाये सकेलेँ
बिन्नू को जौ जीबौ झेले ।
6-अम्माँ हतीँ मिलत तीँ चुपरी ।
बई पै टाठी फेँकी ।
कौनऊ परी विपत् अम्मईँ ने
झखरा बन बन छेँकी।
जई सेँ ""सुधा"" जोर कर कै रयीँ ।
घरवारी सँग रै ले
बिन्नू को जो जीबौ झेले?
7-ज्वानी परैँ उरद गर्रानी
ज्वार मका मरदानी ।
परैँ बुढ़ापौ एक जनीं सें
बस्ती नात सुहानी ।
कर लो कदर घरैतिन की बौ
टेक टौरिया ठेले ।
बिन्नू को जौ जीबौ झेले
??? ©®¶©®¶
Sudha Raje
(बुंदेली बोली में एक सत्य चित्रगीत)
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