कव्वाली

Sudha Raje
कोई ख़ाक डरायेगा उसको जो शख़्स
मुहब्बत सह जाये।
जो इश्क़ पिये औऱ् हिल न सके ।वो आग़ में
ज़िन्दा रह जाये।
वो फ़र्दे -बशर 1-ग़म हो या ख़ुशी हर
वक़्त नशे में रहता है।
वो ग़ैबो-ग़ज़ब -2इस दुनियाँ के।
कब गिनता है कब डरता है।
ठहरे तो ग़रीके जन्नत हो ।
उबले तो अज़ाईम 3-बह जाये ।
ये ग़ैरमुक़म्मलपन उसका
सरबाज़ बनाता जाता है।
ये दर्दे सिजन 4-सरताबी से
परवाज़ बढ़ाता जाता है।
बे ज़ार वो अपनी हस्ती से।
हो सीना सिपर कब ढह जाये ।
©®Sudha Raje
सुधा राजे
©®सुधा राजे
Sudha Raje

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