सुधा राजे की टिप्पणी :- मेलबॉक्स -- वाचिक हिंसा क्यों???

अब भाईयो और बहिनों भतीजियो और भतीजो भांजो और भांजियों मित्रो और मित्राणियों ।
हम तो अब 'पक्का 'सलमान खान की कोई भी फिल्म कोई भी शो तब तक नहीं देखेगे
जब तक कि वह ""महिला आयोग "से लिखित रूप से और देश की हर स्त्री से
",सार्वजनिक रूप से """माफी """नहीं माँग लेता ।
ये इसलिये कि, जिस आदमी के लाखों फैन उसकी बङबोलियों की नकल भी लाखों करते हैं ।

ताकि लोगों को यह अहसास हो कि चाहे तो "अरबपति ''अदाकार हो या मंत्री
नेता पुलिस वकील पत्रकार "
स्त्री के प्रति लैंगिक वाचिक शाब्दिक वैचारिक और लिंगभेदी उपहास आदि से
हिंसा कोई भी नहीं कर सकता ।

अगर सलमान ने माफी नहीं माँगी तो ',लाखों लोगों का जो वाकई में स्त्री के
प्रति हिंसक है ""ग़ुरुर संतुष्ट होगा ""
और उन सबको प्रेरणा मिलेगी कि "बको लैंगिक हिंसात्मक बको ""

""""""
गुटखा कैंसर कम करता होगा ',,
परंतु "शाब्दिक हिंसक बयान जब सेलीब्रिटीज की तरफ से आते हैं तब ""अनेक
शैतानों को मौका मिल जाता है खुद को ''जस्टीफाई करने का ।
"""""
पचास की आयु प्रौढ़ की होती है

विवाह किया होता समय पर तो एक दो "युवा बेटी के बाप होते सलमान खान "
""""""
अदाकारी से पैसा कमाना और बात है ।
दिल में इंसानियत का ज़ज्बा होना और बात है ।

चाहे "सलमान का इंटेंशन नहीं था कुछ भी ""
परंतु मुहावरा क्यों बनाया ""बलात्कार पीङित जैसा दर्द चलने में!!!!!!!
मतलब अचेतन में एक तरह की बातें ठुँसी पङी है!!!!
यही तो निकालनी है उखाङ फेंकनी है ।
क्योंकि वहाँ उपहास ठट्ठा किया गया "उस दर्द का "

शर्म अगर नहीं न सही '
किंतु ये माफी माँगने में जाता क्या है??????
गुरुर टूटता है??
कि मैं स्टार हूँ मेरा क्या कर लोगे??

हम जैसे दस पचास लोग ""ही सही "

तब तक सलमान की कोई फिल्म कोई गीत कोई शो न देखेगे
न अपने किसी परिचित को देखने देगे ।

या तो सीधे सीधे "माफी माँगो कि हाँ जुबान फिसली गलती हुयी ऐसा नहीं कहना
चाहिये था कहीं भी किसी को भी विशेषकर पब्लिक फिगर को तो कतई नहीं """""

"""
या फिर मिस्टर सलमान तुम वाकई इस लायक हो कि तुम्हारा बहिष्कार किया जाये ",,


चाहे जितने हिट हो रहो ',
परंतु देश की "लाखों बेटियाँ इस बयान से "नाराज है "और पीङितायें तो हर्ट
हैं बुरी तरह ।
©®सुधा राजे


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