अथ प्रजानामचा कहना तो बहुत कुछ है '''''''''

अथ प्रजानामचा 
कहना तो बहुत कुछ है '''''''''
★—काशमीर, के अलगाववादी नेता? जो एक एक छोटे छोटे जमात टाईप के गुर्गे की सी हालत में हैं और वहीं उसके पङौस तक के लोग उसे नहीं पूछते 'विदेशी 'तोङफोङ वालों की तरफ से भेजी गयी रकम को काशमीर में बदअमनी और हिंसा फैलाकर हालात खराब करके भारत को बदनाम करने के नाम पर रकम पाते हैं ये रकम, देश के भीतर आने और विदेश जाने वाले कबूतरबाज 'यानि अवैध रूप से आते जाते लोग, 'हवाला यानि वह विदेशी मुद्रा जिसका हिसाब किताब दर्ज नहीं तसकरी से ला लाकर, काशमीर के गरीब मेहनतकश भोलेभाले लोगों को भारत सरकार भारतीय कानून व्यवस्था के विरुद्ध भङकाते हैं भारत को बुरा और हिन्दुओं को काफिर कहकर 'पाकिस्तान के साथ वफादारी निभाने को बहकाते है, थोङे बहुत पैसे रुपये दे दे कर जुलूसों पत्थरबाजियों में चंद काशमीरियों को शामिल करते हैं इसके लिए "रकम "शेष भारत सहित अरब देशों तक से आती है जो "सलाफी बहाबी और कट्टरपंथी मजहबी घृणा की विचारधारा फैलाते है और आतंकवाद को पोषित करते हैं ।जो लगातार, धार्मिक स्थल बनाने के नाम पर, डोडा कुपवाङा त्राल आदि के आसपास की जमीनों पर कब्जा करते जाते हैं और वहाँ मसजिदें बनवाते जाते हैं ।
ये लोग नफरत और घृणा फैलाने के लिये सुरक्षा बलों पर भारतीय संसदीय नेताओं पर और शेष राज्यों के नागरिकों पर घिनौने आरोप लगाकर झूठी किस्से कहानियाँ सुनाते हैं ।सोशल मीडिया इंटरनेट और स्थानीय टीवी रेडियों तक का दुरुपयोग करते हैं ।धार्मिक तकरीरों के वाम पर केवल देश को बदनाम करते हैं ।ताकि लोग जो शेष भारत घूम नहीं पाते यकीन करने लगें कि वाह पाकिस्तान और अरब तो उनके संरक्षक है और भारत यूरोप अमेरिका ही गंदे देश हैं जो इसलाम पर खतरा है ।ये लोग उन सबको बार बार यकीन दिलाते है कि तुम सब भारतीय नहीं हो तुमको भारत में जबरन रोका गया है ।
जबकि ये अलगाववादी नेताओं के ""धनवान होते जाने का सबसे बङा रहस्य है """किसी भी अलगाववादी या जाकिर नाईक जैसे यासीन मलिक या अफजाल जैसे लोगों के धनवान होते चले जाने का रहस्य है ''''इसलाम खतरे में है का प्रचार करके नफरतें बढ़ाने को अन्य धर्मों के लोगों के जुल्म मुसलमानों पर हो रहे हैं ऐसे झूठे हिंसा भङकाऊ प्रचार """""
ये लोग किसी भी हद तक के झूठे आरोप लगाते हैं और खबरों को तोङनरोङकर पेश ककते हैं । एक लङका जो छात्र है परिचित उसकी साईट पर एक तसवीर देखी थी जो कहीं दूर घाना युगांडा सूडान सोमालिया के गृहयुद्ध में जले लोगों की थी जिसपर टिप्पणी थी कि ऐसा कांड गैर मुसलिम लोग भारत में मुसलमानों पर कर रहे हैं पूर्वोत्तर के राज्यों में,,, युवा लङका मन कच्चा और सोच पर पत्थर पङ गये । परंतु समय रहते मुंबई में बेकरी का काम करते पिता ने समझा लिया वरना? 
 ऐसे ही कहीं और की तसवीरें घटनायें कहीं और हुयी बताकर लोगों को भङकाते है ये अलगाववादी 'और स्वयं???
जो दूसरों को पत्थर थमाकर काम काज छोङो स्कूल छोङो 'इसलाम के लिये लङो का नारा देते हैं वही '''!!!
उनके बीबी बच्चे "विदेशों में पढ़ रहे है!!!!!
उनके लङके मुंबई पूना दिल्ली हैदराबाद न्यूय़ॉर्क वाशिंगटन लंदन में जॉब कर रहे और पढ़ रहे हैं!!!!!!
जब भारत बुरा है??
तो अलगाववादी का बेटा मुंबई पूना दिल्ली में क्यों पढ़ता है??
कशमीरी होने के आरक्षण और सुविधायें स्कॉलरशिप ले लेकर????
अमेरिका बुरा है इंगलैंड बुरा है तो अब तक इन लोगों के परिवार सुरक्षित कैसे हैं और कैसे पढ़ पा रहे हैं जॉब और आजादी से घूम फिर पा रहे हैं???????
यही अंतर है "काशमीर की जनता और वहाँ के स्थानीय नफरत बाज नेता में ।नेता सारा सच जानते है खूब समझते हैं कि भारत सरकार जमकर मदद भेदती है काशमीर में हर सरकारी सुविधा है और तत्पर है सरकार किंतु उस सबको ये दलाल अलगाववादी "बाहर से इसलाम की मदद को आया धन का आया बता देते है या पङौसी देश की तरफ का । हकीकत से अनजान रह जाते लोग 'पर्यटन के स्वर्ग काशमीर को आतंकियों की खेती बनाने लगकर खुद भेङों की तरह "ऐसे अलगाववादियों से हाँके जाते हैं ।
तसवीरों में औरतों बच्चों को "पत्थर फेंकते देख सकते हैं आप
एक दम प्रशिक्षित बॉलर की तरह और ये है आङ ताकि तसवीरें ली जा सकें और माहौल ऐसा रचा गढ़ा जा सके 'कि लगे काशमीर अशांत है लोग परेशान है भारत अत्याचार कर रहा है और उपनिवेश है काशमीर बेचारा जो आजादी की लङाई लङ रहा है और जनता ''आतंकवादियों को पालपोस छिपाकर और बहाबी सलफी कट्टरपन को फैलाकर नफरत बढ़ाने को नहीं लङ रही बल्कि सिपाहियों के जुल्म से लङ रही है ।
जबकि हकीकत ये है कि जब जब आतंकवादी मारा जाता है ',अलगाववादियों के द्वारा मसजिदों मदरसों में तकरीर कर करके लोगों को कसमें दिलाकर भङकाया जाता है कि जाओ और मारो 'हिंदू तुम पर जुल्म कर रहे हैं इसलाम खत्म करने को सारी दुनियाँ जुल्म कर रही है ये आतंकवादी नहीं था इसलाम का सिपाही था और तुम लोगों की रखवाली करने में मारा गया जाओ बदला लो ''।
ऐसी भङकी भीङ भेङ बकरियों नहीं भेङियों और कुत्तों की तरह टूट पङती है थानों चौकियों और गश्तियों पहरेदारों और सिपाहियों पर ।
बिना सोचे समझे कि सिपाही तो अधिकतर ""काशमीरी मुसलमान ही है और सिपाही भी अकसर काशमीरी मुसलमान भी है और हिंदू ईसाई सिख भी ।
कोई है जो इन काशमीरियों को ये याद दिलाये कि कभी तुम सब हिंदू थे??? तुम्हारे पुरखों पर जबरन अत्याचार बलात्कार हिंसा और लालच दे दे कर यातनायें मजहब बदलवाये गये?,???????
और जब ये मजहब बदलवाये गये तो ये हिंदू पर जुल्म था या कि मुसलिम पर???
अधिकांश काशमीरी हिंदुओं की ही धर्मपरिवर्तित संताने हैं ।
और एक और बात कि काशमीर में हुल्लङबाजी केवल काशमीरी नहीं कर रहे हैं, 'वहाँ योजना बनाकर "जमातों के नाम पर बहुत से लङके प्रशिक्षण देकर भारत के दूसरे हिस्सों से बुलवाये जाते हैं चलो काशमीर इसलाम बचाओ के नाम पर । ये लङके भारतद्रोही मानसिकता से भङकाये जाते है लालच धन पद और घूमने फिरने ऐश मौज मस्ती का भी होता है और इसलाम का लगे हाथ प्रचार करने से पुण्य कमाने का भी होता है ।
आज जो भी जहाँ भी मुसलिम या हिंदू सिख ईसाई या पारसी सुन्नी शिया सूफी है 'सब "बहाबी सलफी विचारधारा के खतरनाक मंसूबे पहचान रहा है ।
पक्के मुसलमान ईमान वाले कहकर शेष सबसे खुद को ऊँचा और श्रेष्ठ समझते ये लोग 'पूरी दुनियाँ को हिंसा के नर्क में बदलकर खुद ऐश आराम की जिंदगी जीते हैं और अपने अपने परिवारों को ""उन्ही देशों में रखते है जिनकी बुराई करते हैं ""।
काशमीरियों को उन पर यकीन करना छोङना होगा क्योंकि बरबाद करके उनको ये लोग दुनियाँ के आतंकियों से और कट्टरवादियों से धन वसूलकर खुद मौज में रहते है ताकि लोग लङकर इनको धनी बनायें ।
काशमीरी सुख शांति से तभी रह पायेगे जब बच्चों को स्कूल भेजे खुद रोजगार पर ध्यान दें और अपना घर सँभाले भारत को घूमे लोगों से मिले बातें करें ',विज्ञान साहित्य पढ़ें और देश की व्रासत काशमीर का इतिहास पढ़ें और जाने कि पाकिस्तान बांगलादेश भारत ही है और टूटकर अब कैसा हो गया,,, इसलाम के नाम पर "कटकर "क्या मिला?? अतिवाद आतंकवाद का अंजाम सिवा तबाही के कुछ नहीं ।
©®सुधा राजे

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